बोरूंदा में वो एक किसान सा जीवन बिताते
थे...उनसे वहां हुई कई मुलाक़ातों में से वो मुलाक़ात याद रहती है जब वो मुझे बस
स्टेशन तक छोड़ने आए और बस में मुझे जब तक बैठने की सीट नहीं मिल गयी, चिंतित रहे. इसी मुलाक़ात में उन्होंने कहा था- "ये निर्मल वर्मा क्या
चीज़ है भाई! ... मुझे
तो लगता है कि ये जब मरेगा तो दो चार ऐसे ज़रूर निकल आएंगे जो आत्महत्या कर लेंगे."
1 comment:
फ़ेसबुक पर क्या लिख रहा होगा इरफ़ान? मैं अक्सर सोचा किया । विजयदान देथा जी की स्मृति को फिर से नमन ।
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