लैटिन पढ़ाने वाला और पुरानी भाषाओं
का एक प्रौढ़ जानकार है रेमंड ग्रिगेरियास. स्विट्ज़रलैंड के बर्न नगर में रहनेवाला.
काम पर जाते हुए एक दिन उसकी निगाह अचानक एक युवती पर पड़ती है जो पुल से नदी में
छलांग लगाकर अपनी जान देने को ही है. रेमंड उसे बचा लेता है. बाद में युवती गायब
हो जाती है – वह अपना लाल कोट पीछे छोड़ जाती है जिसकी जेब में एक नन्ही किताब की
सूरत में एक पुर्तगाली डाक्टर के नोट्स हैं और किताब के पन्नों के बीच लिस्बन जाने
को उसी रात का एक रेल टिकट.
यह घटना रेमंड की अब तक की
सुविधापूर्ण संतुष्ट ज़िन्दगी को पूरी तरह बदल देती है. रेमंड उस टिकट का इस्तेमाल
करता है. डाक्टर के बारे में जानने की उसकी कोशिशें उसे सत्तर के दशक के पुर्तगाल
के काले दिनों तक ले जाते हैं. पुर्तगाल के इतिहास के साथ साथ उसे एक जटिल
प्रेम-त्रिकोण के सूत्र हाथ लगते हैं. धीरे धीरे समय और व्यक्तिगत स्पेस का अतिक्रमण
कर कहानी इतिहास, दर्शन, प्रेम और जीवन के वास्तविक अर्थों का संधान शुरू कर देती
है.
पास्कल मर्सी के इसी नाम के उपन्यास
पर बनाई गयी यह फिल्म एकाधिक बार देखे जाने की दरकार रखती है. कहते हैं परफेक्शन
दुर्लभ होता है पर किसी किताब के साथ सम्पूर्ण न्याय किसी फिल्म में किया जाना
देखना हो तो मैं ‘नाईट ट्रेन टू लिस्बन’ की सिफारिश करूंगा.
फिल्म का निर्देशन बिली ऑगस्ट ने
किया है और जेरेमी आइरंस ने रेमंड का किरदार निभाया है.
4 comments:
आपने बता दिया देख ली पूरी फिल्म :)
अच्छी है !
निश्चय ही देखी जायेगी..
कल देखि ये फ़िल्म। अच्छी फ़िल्म है। आगे भी सुझाव देते रहें !
पहली फुर्सत में हम देखेंगे इसको
आपका आभार.
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