सितम्बर २०१० की बात है, जब लखनऊ में रहने वाले मेरे अग्रज
और वरिष्ठ पत्रकार-संपादक श्री नवीन जोशी उर्फ़ नवीनदा ने मेरा परिचय फ़रीद ख़ाँ और
उनकी कविताई से कराया था. तब कबाड़खाने पर उनकी एकाधिक कवितायेँ पोस्ट की गयी थीं. उनकी बेहतरीन कविता 'गंगा मस्जिद' को एक दफ़ा पढ़कर भुला देना संभव नहीं है.
फ़रीद का संक्षिप्त परिचय - पटना में पले बढ़े. उर्दू में एम. ए. भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ से नाट्य कला में दो साल का डिप्लोमा. १२ साल इप्टा, पटना से जुड़ कर रंगकर्म. पिछले दस साल से मुम्बई में टीवी और फिल्मों के पटकथा लेखन के क्षेत्र में संघर्ष. टीवी धारावाहिक ‘उपनिषद गंगा’ में डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी के साथ सह-लेखन. विवेक बोडाकोटी निर्देशित फ़िल्म ‘पाईड पाईपर’ में पटकथा लेखन जिसे ‘कार्डिफ़ इंडिपेंडेंट फ़िल्म फ़ेस्टिवल’ में बेस्ट स्क्रीनप्ले का पुरस्कार मिला. कई पत्र पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित.
आज से मैं इन्हीं फ़रीद ख़ाँ की कुछेक और कवितायेँ आपके सम्मुख रखने जा रहा हूँ –
फ़रीद का संक्षिप्त परिचय - पटना में पले बढ़े. उर्दू में एम. ए. भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ से नाट्य कला में दो साल का डिप्लोमा. १२ साल इप्टा, पटना से जुड़ कर रंगकर्म. पिछले दस साल से मुम्बई में टीवी और फिल्मों के पटकथा लेखन के क्षेत्र में संघर्ष. टीवी धारावाहिक ‘उपनिषद गंगा’ में डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी के साथ सह-लेखन. विवेक बोडाकोटी निर्देशित फ़िल्म ‘पाईड पाईपर’ में पटकथा लेखन जिसे ‘कार्डिफ़ इंडिपेंडेंट फ़िल्म फ़ेस्टिवल’ में बेस्ट स्क्रीनप्ले का पुरस्कार मिला. कई पत्र पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित.
आज से मैं इन्हीं फ़रीद ख़ाँ की कुछेक और कवितायेँ आपके सम्मुख रखने जा रहा हूँ –
एक
पेंटिंग
एक दंगाई हाथ जोड़े खड़ा है.
दंगे में मारे गए लोग हाथ जोड़े
खड़े हैं.
एक आतंकवादी हाथ जोड़े खड़ा है.
धमाकों में मारे गए लोग हाथ जोड़े
खड़े हैं.
एक भ्रष्टाचारी हाथ जोड़े खड़ा है.
अदालत में बलात्कारी हाथ जोड़े खड़ा
है.
पुलिस और पॉलिटिशियन के भेस में,
समूचा अपराध जगत हाथ जोड़े खड़ा है.
देश की जनता मूक बधिर खड़ी है.
एक कुत्ते का पिल्ला असमंजस की
स्थिति में
कभी आगे कभी पीछे भाग रहा है.
उसके सामने से गाड़ियाँ सायं सायं
निकलती जा रही हैं.
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