Saturday, May 3, 2014

नमी है हथेली में सुबह की प्रतीक्षा है


अभी तो

-दुष्यंत कुमार

रात के घने काले समय में
मेरी हथेली पर
तुमने बनाया है जो सूरज
            - मेंहदी से
            कहीं सुबह तक रचेगा
            लाल होगा!
-  यों उतावले मत हो
रचेगा ज़रूर
सूरज है
तुमने बनाया है!
            - लेकिन प्रिय,
            अभी तो अंधेरा है
            नमी है हथेली में

            सुबह की प्रतीक्षा है