नमी है हथेली में सुबह की प्रतीक्षा है
अभी तो
-दुष्यंत कुमार
रात के घने काले समय में
मेरी हथेली पर
तुमने बनाया है जो सूरज
- मेंहदी से
कहीं सुबह तक रचेगा
लाल होगा!
- यों
उतावले मत हो
रचेगा ज़रूर
सूरज है
तुमने बनाया है!
- लेकिन प्रिय,
अभी तो अंधेरा है
नमी है हथेली में
सुबह की प्रतीक्षा है
1 comment:
वाह :)
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