Tuesday, August 19, 2014

तुम टकराए थे एक सितारे से और तुमने लिखे थे उसकी स्याही से वे शुरुआती नगमे


एक कैफ़े, और अखबार के साथ तुम

-महमूद दरवेश

एक कैफ़े, और अखबार के साथ तुम, बैठे हुए.
ना, अकेले नहीं हो तुम. आधा ख़ाली तुम्हारा प्याला,
सूरज भरता हुआ दूसरे आधे को ...
शीशे के पार, तुम देखते हो तेज़ी से गुजरते हुओं को,
लेकिन तुम्हें कोई नहीं देख सकता. (यह एक गुण है अदृश्यता का;
आप देख सकते हैं पर आपको नहीं देखा जा सकता.)  
कितने आज़ाद हो तुम, कैफ़े में बिसरा दिए गए एक पुरुष!
यह देखने को कोई नहीं कि वायोलिन तुम पर कैसे असर करता है.
कोई नहीं तुम्हारी उपस्थिति या अनुपस्थिति पर गौर करने वाला
या उस कोहरे में जो तब आता जब तुम एक
लड़की को देखते हो और टूट जाते हो उसके सामने.
कितने आज़ाद हो तुम, इस भीड़ में
अपने काम से काम धरे, और तुम्हें देखने वाला, पढ़ने वाला कोई नहीं!
जो मर्जी आये करो.
अपनी कमीज़ उतार लो या अपने जूते.
अगर तुम चाहो, तुम्हें भुला दिया जा चुका है और अपनी कल्पना में आज़ाद हो तुम.
तुम्हारे नाम या तुम्हारे चेहरे के लिए कोई ज़रूरी काम नहीं करने को.
जैसे तुम बिन-दोस्त बिन-दुश्मन हो यहाँ जो तुम्हारे संस्मरणों को पढ़ते.
उसके लिए माफ़ी मांगो जो तुम्हें अकेला छोड़ गयी यहाँ इस कैफ़े में
क्योंकि तुमने गौर नहीं किया उसकी नई हेयरस्टाइल 
और उसके माथे पर नाचती तितलियों पर.
उस आदमी के लिए माफ़ी मांगो जो तुम्हारी हत्या करने को
तुम्हें ढूंढ रहा था एक दिन, बेवजह,
या क्योंकि तुम नहीं मरे थे उस दिन,
तुम टकराए थे एक सितारे से और तुमने लिखे थे
उसकी स्याही से वे शुरुआती नगमे.
एक कैफ़े, और अखबार के साथ तुम, बैठे हुए
एक कोने में, बिसराए हुए. तुम्हारी शांत मनोदशा
का अपमान करने को कोई नहीं और
कोई नहीं तुम्हारी हत्या करने की बाबत सोचने को
किस कदर भुला दिए गए हो तुम,

कितने आज़ाद अपनी कल्पना में!