यह पोस्ट प्रतीक्षा पाण्डेय ने अपनी फेसबुक वॉल पर अंग्रेज़ी
में चढ़ाई थी. प्रतीक्षा की बेहतरीन कविताओं से आपका साक्षात्कार इस ब्लौग पर पहले
हो चुका है. इधर समकालीन परिस्थितियों पर उनकी कई टिप्पणियाँ असाधारण परिपक्वता का
अहसास देती हैं, ख़ास तौर पर इस लिहाज़ से कि वे बिना भटके सीधे मुद्दे पर आती हैं.
शाबाश प्रतीक्षा!
भारतीय क्रिकेट टीम के प्रबंधक महोदय कहते हैं कि अभिनेत्री अनुष्का शर्मा खेल
के दौरान विराट कोहली के दौरों पर उनका साथ नहीं दे सकतीं, और पूछने पर वजह यह
बताते हैं कि “हमारी संस्कृति दूसरे देशों से भिन्न है, कि भारतीय समाज यह अनुमति
नहीं देता कि किसी खिलाड़ी की गर्लफ्रेंड उसके साथ विदेशी दौरों पर जाए.” पर कुछ ही
दिनों बाद बीसीसीआई अनुष्का को उसी होटल में रुकने की अनुमति दे देता है जिसमें
विराट रुकते हैं क्योंकि उसे ऐसा सुनने में आया है कि विराट और अनुष्का काफी जल्दी
विवाह के बंधन में बंधने जा रहे हैं.
किसी कारणवश भारतीय लोग यह मानते हैं कि हमारे नायकों के लिए जितना आवश्यक
मर्दाना होना है, उतना ही आवश्यक है कि वह इश्क-मोहब्बत-शादी-विवाह से दूर रहे. समाज
में अगर कोई परिवर्तन ला सकता है तो वह एक महिमामयी ब्रह्मचारी ही है. और इसी नायक
की परिभाषा से हम विवाह के नाम पर समझौता कर लेते हैं. विराट ने अनुष्का को साथ ले
जा कर जो पाप किया है उसे आगे होने वाला विवाह उचित साबित कर देगा और हमारे नायक को
स्वर्ग से निष्कासित करने के बजाय उन्हें बाइज्ज़त वापस बुला लिया जायेगा.
यह अद्भुत बात है कि अपनी क्रिकेट टीम से हम अपेक्षा रखते हैं कि
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह अच्छा खेले और इसके लिए उन्हें आधुनिक तकनीक वाली
अंतर्राष्ट्रीय सुविधायें उपलब्ध कराई जाती हैं. वहीँ दूसरी ओर उनसे ऐसे बर्ताव की
अपेक्षा रखी जाती है मानो वो दुनिया के प्राचीनतम और सबसे रूढ़िवादी गाँव में रहते
हों. यह दुःख और हैरत का विषय है कि भारत में क्रिकेट देखने वाली जनता का एक बड़ा हिस्सा
इस बात पर यकीन रखता है कि किसी भी युवा खिलाड़ी के बुरे प्रदर्शन का कारण एक महिला
ही हो सकती है जो उसे उसके मार्ग से भटकाती है— और अगर वह अभिनेत्री हो तो करेले
पर नीम चढ़ जाता है. और लोगों द्वारा इस तरह की प्रतिक्रिया कोई नयी बात नहीं है, जब
युवराज सिंह और दीपिका पादुकोण के बीच संबंधों की हवा चली थी, तब भी कुछ ऐसा ही
सुनने में आया था. कुछ ने तो ऐसा भी कहा की दीपिका ने पहले युवराज को बर्बाद किया
और फिर बैंगलोर की आईपीएल टीम को. इस तरह की सोच और इनपे आधारित चुटकुले जो सोशल
मीडिया पर टहलते हुए पाए जाते हैं, ये न सिर्फ अभिनेत्रियों, जो किसी भी खिलाड़ी
जितनी ही सफल और सक्षम हैं, को बेवजह बदनामी के तीरों का शिकार बनाते हैं, पर साथ
ही साथ दो वयस्कों, जो एक-दूसरे के साथ रहना चाहते हैं, उन्हें अलग करते हैं. और
यह सब हमारी उस ‘संस्कृति’ की रक्षा के लिए जिसकी बुनियाद ही असमानता और
प्रेमहीनता है.
3 comments:
जब तक सोच नहीं बदलेगी। इस तरह के जुमले
उछलते रहेंगे और बेकार की बहस मुबाहिसो का दौर चलता रहेगा। फिजूल में कोई इसका शिकार होता रहेगा। प्रतीक्षा जी ने छोटी से कमेंट्स में बहुत बड़ी बात की है।
वाकई में ।
adbhut h kafi
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