Thursday, October 16, 2014

बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं - नज़ीर अकबराबादी की दीवाली – १

इस दीवाली बाबा नज़ीर अकबराबादी के साथ दीवाली का लुत्फ़ उठाइये-


हमें अदाएं दिवाली की ज़ोर भाती हैं
कि लाखों झमकें हरएक घर में जगमगाती हैं

चिराग जलते हैं और लोएं झिलमिलाती हैं
मकां मकां में बहारें ही झमझमाती हैं
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिल खिलाती हैं

गुलाबी बर्फि़यों के मुंह चमकते फिरते हैं
जलेबियों के भी पहिए ढुलकते फिरते हैं
हर एक दांत से पेड़े अटकते फिरते हैं
इमरती उछले हैं लड्डू ढुलकते फिरते हैं
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताषे हंसते हैं और खीलें खिल खिलाती हैं

मिठाइयों के भरे थाल सब इकट्ठे हैं
तो उन पै क्या ही खरीदारों के झपट्टे हैं
*नबात, सेव, शकरकंद, मिश्री गट्टे हैं
तिलंगी नंगी है गट्टों के चट्टे बट्टे हैं
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

जो बालूशाही भी तकिया लगाए बैठे हैं
तो लौंज खजले यही मसनद लगाते बैठे हैं
इलायची दाने भी मोती लगाए बैठे हैं
तिल अपनी रेबड़ी में ही समाए बैठे हैं
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

उठाते थाल में गर्दन हैं बैठे मोहन भोग
यह लेने वाले को देते हैं दम में सौ सौ भोग
मगध का मूंग के लड्डू से बन रहा संजोग
दुकां दुकां पे तमाशे यह देखते हैं लोग
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

दुकां सब में जो कमतर है और लंडूरी है
तो आज उसमें भी पकती कचौरी पूरी है
कोई जली कोई साबित कोई अधूरी है
कचौरी कच्ची है पूरी की बात पूरी है
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

कोई खिलौनों की सूरत को देख हंसता है
कोई बताशों और चिड़ों के ढेर कसता है
बेचने वाले पुकारे हैं लो जी सस्ता है
तमाम खीलों बताशों का मीना बरसता है
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

और चिरागों की दुहरी बंध रही कतारें हैं
और हरसू कुमकुमे कंदीले रंग मारे हैं
हुजूम, भीड़ झमक, शोरोगुल पुकारे हैं
अजब मज़ा है, अजब सैर है अजब बहारें हैं
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

अटारी, छज्जे दरो बाम पर बहाली है
दिबाल एक नहीं लीपने से खाली है
जिधर को देखो उधर रोशनी उजाली है
गरज़ में क्या कहूं ईंट ईंट पर दिवाली है
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

जो गुलाबरू हैं सो हैं उनके हाथ में छड़ियां
निगाहें आशि‍कों की हार हो गले पड़ियां
झमक झमक की दिखावट से अंखड़ियां लड़ियां
इधर चिराग उधर छूटती हैं फुलझड़ियां
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

कलम कुम्हार की क्या क्या हुनर जताती है
कि हर तरह के खिलौने नए दिखाती है
चूहा अटेरे है चर्खा चूही चलाती है
गिलहरी तो नव रुई पोइयां बनाती हैं
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

कबूतरों को देखो तो गुट गुटाते हैं
टटीरी बोले है और हंस मोती खाते हैं
हिरन उछले हैं, चीते लपक दिखाते हैं
भड़कते हाथी हैं और घोड़े हिनहिनाते हैं
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

किसी के कांधें ऊपर गुजरियों का जोड़ा है
किसी के हाथ में हाथी बग़ल में घोड़ा है
किसी ने शेर की गर्दन को धर मरोड़ा है
अजब दिवाली ने यारो यह लटका जोड़ा है
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

धरे हैं तोते अजब रंग के दुकान दुकान
गोया दरख्त से ही उड़कर हैं बैठे आन
मुसलमां कहते हैं ‘‘हक़ अल्लाह’’ बोलो मिट्ठू जान
हनूद कहते हैं पढ़ें जी श्री भगवान
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

कहीं तो कौड़ियों पैसों की खनख़नाहट है
कहीं हनुमान पवन वीर की मनावट है
कहीं कढ़ाइयों में घी की छनछनाहट है
अजब मज़े की चखावट है और खिलावट है
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं

नज़ीरइतनी जो अब सैर है अहा हा हा
फ़क़त दिवाली की सब सैर है अहा हा ! हा
निशात ऐशो तरब सैर है अहा हा हा
जिधर को देखो अज़ब सैर है अहा हा हा
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं
बताशे हंसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं 

(*नबात - मिश्री) 

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