Thursday, October 16, 2014

कुछ देर धुनों की भाप छोड़ें और लौट जाएं अपने अपने काम पर - शिवप्रसाद जोशी की नई कवितायें – ६



सामर्थ्य

एक वॉयलिन उठाओ और उसमें एक ऐसी धुन छेड़ो जो रास्ता बन जाए
जिस पर चल कर लोग आ जा सकें
मिल सकें
धुन को खींचो तार की तरह
उस पर करतब दिखाता हुआ जाऊँ मैं
संतुलन साधता हुआ आर से पार
एक ऐसा वॉयलिन बजाओ
दुनिया के सारे अच्छे लोग कुछ देर के लिए एक जगह आ जाएँ
जैसे बारिश से बचने के लिए एक जगह जमा हो जाते हैं
फिर कुछ देर धुनों की भाप छोड़ें
और लौट जाएं अपने अपने काम पर

वॉयलिन अगर बजा सको
तो इतनी देर तक बजाना
कि थम जाए बर्बरों के हाथ
जहाँ के तहाँ
इतना उस धुन में मिला दो
अपनी धुन

बहुत थकान के बाद भी मत भूलना
वॉयलिन बजना ही चाहिए कुछ देर
सामर्थ्य मिलती है इंतज़ार को इससे.


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