ये
हैं दिशा राय चौधरी. इन दिनों दिल्ली में रहती/ पढ़ती हैं. इनसे मेरी मुलाक़ात इस साल मार्च में
वर्नाकुलर्स अंडरग्राउंड की सेमीनार में दिल्ली में हुई थी. बेहद अंडरस्टेटेड
व्यक्तित्व की स्वामिनी दिशा का एक दूसरा ही रूप उक्त सेमीनार के अनौपचारिक समापन
समारोह में मित्र राजर्षि दासगुप्ता के जे.एन.यू. स्थित घर में हुई दावत के
दरम्यान नज़र आया. दिशा ने लता मंगेशकर का एक बेहद मुश्किल गीत बिना किसी सुर-साज़
के गाया. और उसके गायन में यकीन जानिये सुर की एक भी गड़बड़ी नहीं हुई – एकदम परफ़ेक्ट
जिसे कहते हैं.
मैं
बहुत प्रसन्न था और हकबका भी गया था. दिशा है ही ऐसी.
आज
उसने दीवाली के दिन मुझे अपनी नवीनतम रेकॉर्डिंग भेजी है जिसे मैं एक तोहफे की तरह
आप सब के साथ बाँट रहा हूँ. दिशा को अपना
आशीष दीजिये और संगीत के क्षेत्र में उसके बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं भी.
शाबास
दिशा!
इस गीत को दिशा के मित्रों की वेबसाईट पर यहाँ भी सुना जा सकता है - মন মন্দিরে|MON MANDIRE
1 comment:
vaah ..
bahut meetha
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