पोथी में लिखा
है - जिस दिन राम रावण को परास्त करके अयोध्या आए, सारा नगर दीपों से जगमगा उठा. यह दीपावली पर्व अनन्तकाल तक मनाया जाएगा.
पर इसी पर्व पर व्यापारी बही-खाता बदलते हैं और खाता-बही लाल कपड़े में बांधी जाती
है.
प्रश्न है - राम
के अयोध्या आगमन से खाता-बही बदलने का क्या सम्बन्ध? और खाता-बही लाल कपड़े में ही क्यों बांधी जाती है?
बात यह हुई कि
जब राम के आने का समाचार आया तो व्यापारी वर्ग में खलबली मच गई. वे कहने लगे “
सेठ जी, अब बड़ी आफत है. भरत के राज में तो पोल
चल गई. पर राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. वे टैक्स की चोरी बर्दाश्त नहीं करेंगे. वे
अपने खाता-बही जांच करेंगे. और अपने को सजा होगी.”
एक व्यापारी ने
कहा “भैया, अपना तो नम्बर दो का
मामला भी पकड़ लिया जाएगा.”
अयोध्या पहुंचने
के पहले ही राम को मालूम हो गयार कि उधर बड़ी पोल है. उन्होंने हनुमान को बुलाकर
कहा “ सुनो पवनसुत, युद्ध तो हम जीत
गए लंका में, पर अयोध्या में हमें रावण से भी बड़े शत्रु का
सामना करना पड़ेगा, वह है- व्यापारी वर्ग का भ्रष्टाचार.
बड़े-बड़े वीर व्यापारी के सामने परास्त हो जाते हैं. तुम अतुलित बल-बुद्धि -निधान हो. तुम्हें मैं
इनफोर्समेंट ब्रांच का डाइरेक्टर नियुक्त करता हूं. तुम अयोध्या पहुंचकर
व्यापारियों के खाते-बहियों की जांच करो और झूठे हिसाब पकड़ो. सख्त से सख्त सज़ा दो.”
इधर व्यापारियों
में हड़कम्प मच गया. कहने लगे -” अरे भैया, अब तो मरे. हनुमान जी इनफोर्समेंट ब्रांच में डाइरेक्टर नियुक्त हो गए.
बड़े कठोर आदमी हैं. शादी-ब्याह नहीं किया. न बाल-बच्चे. घूस भी नहीं चलेगी.”
व्यापारियों के
कानूनी सलाहकार बैठकर विचार करने लगे. उन्होंने तय किया कि खाता-बही बदल देनी
चाहिए. सारे राज्य में `चेम्बर ऑफ कामर्स´ की तरफ़ से
आदेश चलाया गया कि दीपोत्सव पर खाता-बही बदल दिए जाएं.
फिर भी व्यापारी
वर्ग निश्चिन्त नहीं हुआ. हनुमान को धोखा देना आसान बात नहीं थी. वे अलौकिक बुद्धि
संपन्न थे. उन्हें खुश कैसे किया जाए. चर्चा चल पड़ी –
- कुछ
मुट्ठी गरम करने से नहीं चलेगा.
- वे एक
पैसा नहीं लेते
- वे न
लें, पर मेम साब?
- उनकी
मेम साब ही नहीं हैं. साहब ने मैरिज नहीं की. जवानी लड़ाई में काट दी.
- कुछ और
तो शौक होंगे? दारू बौर बाक़ी सबकुछ?
- वे
बालब्रह्मचारी हैं. कालगर्ल को मारकर भगा देंगें. कोई नशा नहीं करते. संयमी आदमी
हैं !
- तो
क्या करें?
- तुम्हीं
बताओ!
किसी सयाने वकील
ने सलाह दी - जो जितना बड़ा होता है उतनी ही चापलूसी पसन्द करता है. हनुमान की कोई
माया नहीं है. वे सिंदूर शरीर पर लपेटते हैं तथा लाल लंगोट शरीर पर पहनते हैं.
उन्हें खुश करना आसान है. व्यापारी खाता-बही लाल कपड़े में बांधकर रखें.
रातों-रात
खाता-बही बदल गए तथा उन्हें लाल कपड़े में लपेट दिया गया.
दूसरे दिन
हनुमान कुछ दरोगाओं को लेकर अयोध्या के बाज़ार में निकल पड़े.
पहले व्यापारी
के पास गए. बोले - “खाता-बही निकालो जांच होगी.” व्यापारी
ने लाल बस्ता निकाल कर आगे रख दिया. हनुमान ने देखा, लंगोट
और खाते का कपड़ा एक है. खुश हुए. बोल - “मेरे लंगोट के कपड़े
में खाता-बही बांधते हो?”
व्यापारी ने कहा
-” हां, बल-बुद्धि निधान, हम आपके भक्त हैं. आपके निशान मानते हैं. आपकी पूजा करते हैं.”
हनुमान गदगद हो गए.
व्यापारी ने कहा
- “बस्ता खोलूं, जांच कर लीजिए!”
हनुमान ने कहा -”रहने दो, मेरा भक्त बेईमान नहीं हो सकता.”
हनुमान जहां भी
जाते, लाल लंगोट के कपड़े में बंधे खाता-बही देखते. वे बहुत
खुश हुए. उन्होंने कहीं हिसाब की जांच नहीं की. रामचन्द्र को रिपोर्ट दी कि
अयोध्या के व्यापारी बड़े ईमानदार हैं. उनके हिसाब बिलकुल ठीक हैं.
हनुमान विश्व के
प्रथम साम्यवादी थे. सर्वहारा के नेता थे. उन्हीं का लाल रंग आज के साम्यवादियों
ने लिया है.
पर सर्वहारा के
नेता को सावधान रहना चाहिए कि उनके लंगोट से बुर्जुआ खाता-बही न बांध ले.
शुभ दीपावली!
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