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जनवरी १९७८ को जन्मे माज़ेन मारूफ़ फ़िलिस्तीनी-आइसलैंडिक कवि-लेखक हैं जिन्हें कविता
के अंतर्राष्ट्रीय आकाश पर उभरता हुआ एक महत्वपूर्ण सितारा माना जा रहा है. उनके
तीन कविता संग्रह प्रकाशित हैं – ‘द कैमरा डज़न्ट कैप्चर बर्ड्स’, ‘अवर ग्रीफ़
रिज़ेम्बल्स ब्रैड’ और ‘एन एंजेल सस्पेंडेड ऑन द क्लोद्सलाइन’. ‘एन एंजेल सस्पेंडेड
ऑन द क्लोद्सलाइन’ का अनुवाद फ्रेंच व अंग्रेज़ी समेत कई भाषाओं में हो चुका है.
विभिन्न अरबी पत्रिकाओं और अखबारों में उनकी साहित्यिक समीक्षाएं प्रकाशित हो चुकी
हैं और उन्होंने कई आइसलैंडिक लेखकों की रचनाओं का अनुवाद किया है. माज़ेन
रेक्याविक में रहते हैं. आज से उनकी कुछ कविताओं की सीरीज़ शुरू करता हूँ.
डी.
एन. ए.
- माज़ेन मारूफ़
(करीम
जेम्स अबू-ज़ायद और नताली हैंडल के अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित)
चीखने का
बस एक ही तरीका
है:
याद करना कि तुम
... एक फ़िलिस्तीनी हो.
एक ही तरीका बस
की खिड़की में
अपने चेहरे को
देखते जाने का:
गुजरते पेड़ों के
साथ और
कुलियों के जो आपके
ठहरने के साथ
प्रकट होते हैं.
एक ही तरीका
हलके से ओज़ोन
परत तक पहुँचने का,
किसी गुब्बारे
की मानिंद.
रोने का एक ही
तरीका:
क्योंकि तुम
वास्तव में एक हरामज़ादे हो.
एक ही तरीका
अपनी माशूका की
छातियों पर हाथ धरने
और सपने देखने का:
सुदूर चीज़ों का
जैसे लूव्र
संग्रहालय
और पेरिस के
उपनगरीय इलाके में एक छोटा अपार्टमेन्ट
औए इतना सारा
अकेलापन
और इतनी सारी
किताबें.
एक ही तरीका
मरने का:
शुरुआती भोर के
वक़्त
उकसा देना किसी बंदूकधारी को.
एक ही तरीका
कहने का “रंडी”
तुम्हारे बिस्तर
में जो रंडी है उसे.
एक ही तरीका
हशीश पीने का:
ग्यारह बजे रात
अकेले, एक
एलीवेटर में.
कविता लिखने का
एक ही तरीका:
दयनीयता के साथ,
गुसलखाने में.
चीखने का एक ही
तरीका:
नाली के भीतर,
जब तुम्हारा
चेहरा उभरता है
गू से भरे पानी
में
एक सेकेण्ड के
लिए
तुम्हें याद
दिलाता
कि तुम कुछ नहीं
हो,
बिल्कुल कुछ
नहीं,
सिवाय एक
फ़िलिस्तीनी के.
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