Sunday, November 16, 2014

ज्ञानरंजन का इलाहाबाद – १३


(पिछली क़िस्त से आगे) 

हर किसी शहर की पहचान के लिए एक उक्ति या एक शीर्षक को पा लेना कठिन काम है. न्यूयॉर्क एक बाइस्कोप की तरह है, जिस पेरिस से शुरुआती दिनों में मैंने इलाहाबाद की तुलना की थी वह पेरिस आज कब्रिस्तान की याद दिलाता है, लन्दन में लड़के बहुत बिगडैल हो गए हैं, दिल्ली हाँजी हाँजी है, एथेंस को अभी भी आप दौड़ का मैदान कह सकते हैं, मुम्बई को नसीरुद्दीन शाह अगर स्वर्णमृग कहता है तो मुझे यह बिलकुल सटीक शब्द लग रहा है, सत्यजित राय की मरणोन्मुख धारणा का प्रतिवाद करते हुए मैं कलकत्ते को एक तारामंडल कहना पसंद करूंगा, बार्सिलोना बिलकुल सुर्ख अनार की तरह दमकता है, अम्स्तरदम एक फिच्च सेब की तरह है और वेनिस जलमार्गों के बेचैन अतीत में फंसा हुआ, बर्लिन अब गहरी नींद से भर गया है. दुनिया के सबसे शानदार और दमदार अमरूदों के शहर इलाहाबाद में गहरी गोपनीयता है. अमरूदों की गंध से पता चला कि इस्पहानी भाषा में फ्रेगरेंस ऑफ़ ग्वावा तक पहुँच गयी. साउथ मलाका, एलनगंज, पोनप्पा रोड, लूकरगंज, जार्जटाउन, टैगोर टाउन या दीवारों के हद में बंद पड़े पुराने इलाकों और गलियों के चाल में बंद इलाहाबाद के किसी भी मकान पर आप नज़र डालें आपको पता नहीं चलेगा यहाँ क्या हो रहा है, क्या हो सकता है.  

बहरहाल अनगढ़ सी इस रचना को, जो असमाप्त है और जिसे अभी बहुत लम्बी यात्रा करनी है, मैं एक कविता के स्मरण से समाप्त करना चाहता हूँ. वास्तव में यहीं से वास्तविक रचना की शुरुआत होती है. ग्रीक कवि कवेफ़ी और सेफरिस मेरे प्रिय कवि रहे हैं सातवें दशक में. कवेफ़ी की सिटी कविता मुझे एक हद तक पसंद है. उत्तर आधुनिक जलजले के इस समय में इस कविता या इस मनहूस अंत के लिए मुझे क्षमा करें. लेकिण मैं क्या करूं, कुछ तो मेरी फ़ितरत, कुछ मेरा शहर और कुछ मेरे गुरु धीरेन्द्र वर्मा और रघुवंश जी का योगदान है जिनकी एक मुस्कान के लिए हम आजीवन तरस गए.

यू सेड. आई विल गो टू अनदर लैंड, गो टू अनदर सी,
फाइंड सम अदर टाउन बेटर देन दिस वन
फेडेड, कंडेम्ड, इज़ आल दैट आई हैव एवर डन
एंड माई हार्ट, लाइक अ डैड बॉडी इज़ वरीड इन अ टूम्ब
यूं विल नॉट फाइंड न्यू लैंड्स, नॉट फाइंड अनदर सी
द सिटी विल फॉलो यू, यू विल वंडर डाउन
दीज़ वैरी स्ट्रीट्स, एज़ इन दीज़ सेम क्वार्टर्स ऑफ़ द टाउन
अमंग द सेम हाउसेज़ फाइनली टर्न ग्रे
यू विल रीच दिस सिटी ऑलवेज, डोंट होप टू गेट अवे :
फॉर यू देयर इज़ नो शिप, नो रोड एनीवेयर
एज़ यू हैव डिस्ट्रॉयड योर लाइफ हेयर;
इन दिस स्माल कार्नर, सो इन द होल वर्ल्ड यू रेक्ड इट
अटरली.  
     

(समाप्त)

No comments: