१.
ख़लील
चौधरी
-नीलाभ
ब्रिटिश
म्यूज़ियम में देखता है ख़लील चौधरी
ढाके
की मलमल का थान
जिसे
उसने कभी नहीं देखा ढाका में
सच
तो यह है कि उसने ढाका भी कभी नहीं देखा
सिर्फ़
सुना है बाप-दादा से
अँगूठी
से गुज़र जाने वाले
मलमल
के थान का किस्सा
सिलाई
मशीन पर झुके-झुके
पंजाब
गार्मेंट्स के सुरिन्दर सिंह के लिए
ठेके
पर कपड़े सिलते हुए
ख़लील
चौधरी अब सिर्फ़
पोलिएस्टर
और डेनिम पहचानता है
जिनके
थान हर हफ्ते
कराची
ट्रेडर्स का याहिया ख़ान
अपनी
वैन पर लाता है
और
ख़लील चौधरी के घर में फेंक जाता है
यह
याहिया ख़ान
वह
शराबी जनरल नहीं है
जिसके
वफ़ादार फ़ौजी
दिन-दहाड़े
सिल्हट
के बाज़ार से
ख़लील
चौधरी की बहन को
उठा
ले गये थे
और
पाँच दिन बाद
उसकी
नंगी लाश
पोखर
में उतराती मिली थी
यह
याहिया ख़ान तो उसके बहुत बाद
जनरल
ज़िया के वफ़ादार फ़ौजियों से
बचता-बचाता
कराची
से लन्दन आया था
मगर
ख़लील चौधरी अब
उन
बीती हुई बातों को
याद
नहीं करना चाहता
वह
याद नहीं करना चाहता
कैसे
वह अपने माँ-बाप के साथ
दिन-दिन
भर भागता हुआ
नारियल
और बाँस के झुण्डों में
छुपता-छुपाता
सिल्हट
से स्पिटलफ़ील्ड पहुंचा था
वह
उस सिलाई की मशीन को भी
नहीं
याद करना चाहता
जिस
पर सिल्हट के बाज़ार में
उसका
बाप
कपड़े
सिया करता था
ख़लील
चौधरी के लिए
इतिहास
गड्ड-मड्ड हो चुका है
घटनाओं
और दुर्घटनाओं का
अन्तर
मिट चुका है
स्पिटलफ़ील्ड
से सिल्हट तक
फैला
है
पोलिएस्टर
और डेनिम का साम्राज्य
लेकिन
शीशे के शो केस में
धुन्ध
की तरह बिखरा हुआ
मलमल
का थान
धुन्ध
की तरह मुलायम है
या
औरत की देह की तरह
जिसे
ढँकने के लिए
उसे
बुना था
ख़लील
चौधरी के पुरखों ने
कपास
और करघे की यह पेशकश
एक
कला थी
ख़लील
चौधरी के पुरखों के लिए
जैसे
जीवन भी एक कला थी
जैसे
पद्मा की लहरों पर तैरते
भटियाली
के बोल
जैसे
नये अन्न की सोंधी-सोंधी गन्ध
खजूर
के गुड़ की मिठास
जैसे
बाउल के गीत, ताँत की साड़ी
देहरी
पर रची गयी अल्पना
और
मुर्शिदाबाद का ज़रीदार रेशम
रॉबर्ट
क्लाइव के आने से पहले
लेकिन
ख़लील चौधरी
यह
सब नहीं जानता
वह
सिर्फ़ ब्रिकलेन थाने के
पुलिस
कॉन्स्टेबल क्लाइव को जानता है
जिसने
सिर-मुंडे गुण्डों की पिटाई के ख़िलाफ़
ख़लील
चौधरी की शिकायत
दर्ज
करने से इनकार कर दिया था
वह
उन शोख़ लड़कों को जानता है
जो
उसे अक्सर ‘पाकी-पाकी’ कह कर बुलाते हैं
और
नहीं जानते
कि
ख़लील चौधरी के लिए
यह
सबसे बड़ी गाली है
(नोट:
इंग्लिस्तान में हिन्दुस्तानी उपमहाद्वीप के लोग या तो सिख हैं या पाकिस्तानी चाहे
वे हिन्दू हों या मुसलमान, बांग्ला देशी
हों या हिन्दुस्तानी)
1 comment:
प्रभावी और मारक।ख़लील चौधरी के अंदरूनी ज़ख्मों से नीलाभ।कबाड़ख़ाने के हीरकनी को बधाई
Post a Comment