Monday, December 29, 2014

इतने अच्छे क्यूँ लगते हो


ग़ज़ल पुरानी है. गुलाम अली भी पुराने हैं. उतनी ही पसंदीदा रही है स्कूल-कॉलेज के ज़माने से. पेश कर रहा हूँ - इतनी मुद्दत बाद मिले हो - 


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