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तुबा साहाब |
पाकिस्तान में रहने वाली तुबा साहाब तालिबान के खिलाफ कविताएँ लिखती हैं. उनकी कविताओं के केंद्र में
कट्टरवादी इस्लामी आतंकियों के निशाने पर रह रहे बच्चों का दर्द निवास करता है.
आतंकवादियों के खौफ के साए तले बच्चिया स्कूल जाने से रोकी जा रही हैं, उनकी किताबें
जलाई जा रही हैं और उन्हें कई अत्याचारों से रू-ब-रू होना पड़ रहा है. अपनी
कवितायेँ लेकर तुबा बार-बार मीडिया के पास जाया करती हैं.
तुबा की एक कविता का अंश है –
“आंसुओं की नन्ही बूँदें
फरिश्तों जैसे उनके चेहरे
खून में नहाए हुए
वे सोये हैं हमेशा के लिए
गुस्से में”
इस वीडियो को शूट किये जाते समय तुबा कुल ग्यारह साल की थी. नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और देखें इस बहादुर बच्ची को -
http://edition.cnn.com/2009/WORLD/asiapcf/02/17/pakistan.girl.poet/index.html?eref=edition#cnnSTCVideo
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