अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बन्दे
एक
नूर से सब जग उपज्या कौन भले को मंदे
लोगां
भरम न भूलियो माही, लोगां भरम न भूलियो
खालिक
खल्क खल्क में खालिक पूर रह्यो सब ठाईं
माटी
एक अनेक भांड कर साजी साजन हारे
न कछ
पोच माटी के भांडे न कछ पोच कुम्भारे
सब
में सच्चा एको सोई दिस का किया सब कुछ होई
हुक्म
पछाणे साईं को जाने बन्दा कहिये सोई
अल्लाह
अल्ख न जाई लिख्या गुर गुड़ दीना मीठा
कहे
कबीर मैं शंका नासी सरब निरंजन देखा
No comments:
Post a Comment