Thursday, December 25, 2014

अल्ला अलख न जाई लिख्या, गुर गुड़ दीना मीठा


गुरबानी में संकलित कबीरदास जी का यह बेहतरीन भजन उस्ताद नुसरत फ़तेह अली ख़ान की आवाज़ में







अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बन्दे
एक नूर से सब जग उपज्या कौन भले को मंदे

लोगां भरम न भूलियो माही, लोगां भरम न भूलियो
खालिक खल्क खल्क में खालिक पूर रह्यो सब ठाईं

माटी एक अनेक भांड कर साजी साजन हारे
न कछ पोच माटी के भांडे न कछ पोच कुम्भारे

सब में सच्चा एको सोई दिस का किया सब कुछ होई
हुक्म पछाणे साईं को जाने बन्दा कहिये सोई

अल्लाह अल्ख न जाई लिख्या गुर गुड़ दीना मीठा
कहे कबीर मैं शंका नासी सरब निरंजन देखा  

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