हां इधर को भी
ऐ गुंचादहन पिचकारी।
देखें कैसी है तेरी रंगबिरंग पिचकारी।।
तेरी
पिचकारी की तकदीद में ऐ गुल हर सुबह।
साथ ले निकले हैं सूरज की किरन पिचकारी।।
साथ ले निकले हैं सूरज की किरन पिचकारी।।
जिस
पे हो रंग फिशां उसको बना देती है।
सर से ले पांव तलक रश्के चमन पिचकारी।।
सर से ले पांव तलक रश्के चमन पिचकारी।।
बात
कुछ बस की नहीं वर्ना तेरे हाथों में।
अभी आ बैठें यहीं बनकर हमतंग पिचकारी।।
अभी आ बैठें यहीं बनकर हमतंग पिचकारी।।
हो
न हो दिल ही किसी आशिके शैदा का नज़ीर।
पहुंचा है हाथ में उसके बनकर पिचकारी।।
पहुंचा है हाथ में उसके बनकर पिचकारी।।
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