Wednesday, March 11, 2015

ये एक कवि की तस्वीरें हैं जनाब

कल यानी दस मार्च को धर्मशाला में
तिब्बत प्रतिरोध दिवस के जुलूस का नेतृत्व करते तेनज़िन त्सुन्दू. फ़ोटो आभार : न्या नेकोडा










आतंकवादी

-तेनज़िन त्सुन्दू

मैं एक आतंकवादी हूँ
मुझे हत्या करने में आनंद आता है.

मेरे सींग हैं
दो विषैले दांत
और ड्रैगनफ्लाई की पूंछ.

अपने घर से भगाया हुआ मैं
डर के मारे छिपा हुआ
बचाता अपना जीवन
दरवाजे भेड़े जाते मेरे चेहरे पर.

लगातार लगातार नहीं मिलता न्याय
धैर्य का इम्तेहान लिया जाता है
टेलीविजन पर, तोड़ा जाता हुआ
एक खामोश बहुमत के सामने
दीवार से सटाया गया,
उस मृत छोर से
लौट कर आया हूँ मैं,

मैं हूँ वह अपमान
जिसे तुमने निगला था
चपटी नाक के साथ.

मैं हूँ वह शर्म
जिसे दफनाया था तुमने अँधेरे में.

मैं आतंकवादी हूँ
गोली मार गिरा दो मुझे

डर और कायरता
मैं छोड़ आया था
घटी में
मिमियाती बिल्लियों
और जीभ लपलपाते कुत्तों के बीच.

मैं अविवाहित हूँ
खोने को
कुछ नहीं मेरे पास.

मैं बन्दूक की गोली हूँ
मैं कुछ नहीं सोचता.

टीन के खोल से
मैं झपटता हूँ
उस दो-सेकेण्ड के जीवन के रोमांच के लिए
और मर जाता हूँ मृतकों के साथ.

मैं जीवन हूँ

जिसे तुम छोड़ आए थे पीछे.

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