Saturday, March 7, 2015

उन्हीं से नेह लागी है हमन को बेकरारी क्या

कबीरदास जी यह रचना मैंने एक बार आशा भोसले की आवाज़ में यहाँ प्रस्तुत की थी. बहुत खोजने पर भी उसका लिंक मुझे नहीं मिल सका. चाहता था उसे भी पोस्ट करता क्योंकि उस संस्करण का अपना अलग रस है. 

फिलहाल आज उसी अमर रचना को सुनिए मशहूर सूफ़ी गायक शफ़ी मोहम्मद फ़क़ीर के स्वर में. बहुत जल्द ही आशा भोसले वाले को अपलोड करता हूँ -



हमन है इश्क मस्ताना हमन को होशियारी क्या 
रहें आजाद या जग से हमन दुनिया से यारी क्या   

जो बिछुड़े हैं पियारे से भटकते दर-ब-दर फिरते
हमारा यार है हम में हमन को इंतजारी क्या   

खलक सब नाम अपने को बहुत कर सिर पटकता है
हमन गुरनाम साँचा है हमन दुनिया से यारी क्या   

न पल बिछुड़े पिया हमसे न हम बिछड़े पियारे से
उन्हीं से नेह लागी है हमन को बेकरारी क्या   

कबीरा इश्क का नाता दुविधा दूर कर दिल से
जो चलना राह नाज़ुक है हमन को बोझ भारी क्या  

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