Saturday, July 4, 2015

फ़्रांस के चित्रकार रॉबर्ट एन्टोइन पिनशों - 1

फ्रांसीसी पोस्ट-इम्प्रेशनिस्ट लैंडस्केप पेंटर रॉबर्ट एन्टोइन पिनशों (1886-1943) रुआं स्कूल ऑफ़ पेंटिंग से ताल्लुक़ रखते थे. वे ताजिंदगी अपने स्कूल के प्रति वफादार बने रहे. उन्नीस साल की आयु से लेकर अगले दो वर्षों तक उन्होंने फॉव शैली में काम किया लेकिन वे न तो कभी भी क्यूबिज्म की तरफ बढ़े न ही उन्होंने यह माना कि पोस्ट मॉडर्निज्म किसी भी तरह उनकी कलात्मक आवश्यकताओं के लिहाज़  से कमतर है.

रॉबर्ट एन्टोइन पिनशों का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जो कलात्मक और साहित्यिक दृष्टि से बेहद संपन्न था. उनके पिता रॉबर्ट पिनशों लाइब्रेरियन, पत्रकार, नाटककार और रंगमंच-आलोचक तो थे ही, विख्यात कहानीकार गी दे मोपासां के अन्तरंग मित्र भी थे. वे गुस्ताव फ्लाबेयर के शिष्य भी रहे थे. मोपासां और रॉबर्ट पिनशों ने 1875 में एक नाटक ‘A la Feuille de Rose Maison Turqueकी स्क्रिप्ट लिखी थी जो इरोटिसिज़्म और वैश्यावृत्ति जैसे विषयों को स्पर्श करता था. नाटक का आधिकारिक मंचन 15 मई 1877 को मौरिस लेलोआ के स्टूडियो में किया गया – दर्शकों में गुस्ताव फ्लाबेयर, एमिल ज़ोला और इवान तुर्गेनेव जैसे दिग्गज शामिल थे.

जब रॉबर्ट ने देखा कि बेटे के भीतर कला के लिए शुरूआती रुझान है तो उन्होंने उसके लिए ढेर सारे ऑइल पेंट्स खरीदे और उसे लेकर सन्डे पेंटिंग वॉक्स पर जाना शुरू किया. 1898 के एक फोटो में रॉबर्ट जूनियर को 12 वर्ष की आयु में पेंटिंग करते हुए देखा जा सकता है. सन 1900 में उन्होंने अपने पुत्र की कुछ पेंटिंग्स की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की.

उसी साल रयू दे ला रीपब्लीक में रॉबर्ट एन्टोइन ने कैमरा सप्लाई करने वाले विख्यात स्टोर Dejonghe and Dumont के शोकेस में अपना काम प्रदर्शित किया. यह स्थान हालांकि उतना उल्लेखनीय नहीं था लेकिन यहाँ प्रदर्शित कलाकृतियों को जनता ने देखा. इस स्थान की एक खूबी थी कि यह होटल डॉफ़िन एट द’एस्पाने से फ़क़त कुछ ही मीटर की दूरी पर था जहां पॉल गोगां, मोने, पिसारो, देगा, रेनुआ, सेजां, गिलोमीन और सिसली जैसे बड़े कलाकारों का काम नियमित रूप से प्रदर्शित हुआ करता था. 16 मार्च 1900 को ज्योर्ज ड्यूबोक नामक एक आलोचक ने रॉबर्ट एन्टोइन की कला पर एक लंबा आलेख लिखा जो ले जर्नल दे रुआं में प्रकाशित हुआ.







(जारी)

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