रॉबर्ट
एन्टोइन पिनशों ने
शताब्दी की शुरुआत में रुआं के लिसी पीयर-कॉर्नेल में अध्ययन किया. उसकी कक्षा में
पढ़ने वाले दो और छात्र विख्यात चित्रकारों में शुमार होने के साथ-साथ अन्तरंग
मित्र भी बने. ये थे मार्सेल ड्यूशैम्प और पीयर ड्यूमौन्त. इस स्कूल में 1874
से पढ़ा रहे फ़िलिप ज़कारी (1849-1915) ड्राइंग
की कक्षाएं लेते थे और ख़ासे अनुशासनप्रिय और सख्त माने जाते थे. फ्रांस के कला
संसार में उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के महत्वपूर्ण लोगों में ज़कारी का शुमार
किया जाता है.
कला
की विधिवत शिक्षा लेने के साथ-साथ रॉबर्ट एन्टोइन पिनशों ने 1895-96 में जोसेफ़ देलात्रे द्वारा स्थापित लिबरे अकादमी और रयू देस शारले जाने को
अपना नियमित काम बना लिया. नए और उभरते कलाकारों के ये जगहें प्रेरणा के अड्डों का
काम किया करती थीं.
फरवरी
1903 में मार्सेल ड्यूशैम्प के अपने दोस्त रॉबर्ट एन्टोइन पिनशों का पोर्ट्रेट बनाया. उसी साल 15
जून से 31 जुलाई तक रॉबर्ट एन्टोइन पिनशों ने
अपनी दो पेंटिंग्स को रुआं की नगरपालिका के प्रदर्शनी हॉल में अपनी दो पेंटिंग्स
प्रदर्शित कीं. उस समय के बड़े कला-पारखी चार्ल्स हिल्बर्ट ड्यूफ़ॉर ने रॉबर्ट
एन्टोइन पिनशों के बारे में अच्छी बातें लिखीं. पिनशों की आयु तब कुल 17 थी.
रुआं
में 14 मई से 15 जुलाई 1903 में हुई वार्षिक कला प्रदर्शनी में रॉबर्ट एन्टोइन
पिनशों ने
अपना काम जिन कलाकारों के साथ प्रदर्शित किया उनमें चार्ल्स फ्रेकों, ब्लांच मोने और स्वयं क्लाउड मौने शामिल थे. मौने ने यहाँ रुआं के चर्च की
अपनी बनाई पेंटिंग टांग रखी थी. रॉबर्ट एन्टोइन पिनशों के काम को इम्प्रेशनिस्ट
कला के संग्राहक फ्रांसुआ देपॉ ने बहुत पसंद किया जबकि क्लाउड मौने ने इस युवा
कलाकार के लिए लिखा : “चौंका देने वाली एक आँख की सेवा में
चौंका देने वाला एक स्पर्श.”
(जारी)
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