आम बोलचाल में साहब का अर्थ मान्यवर, श्रीमान या महोदय की तरह होता है. अपने से बड़े, वरिष्ठ
और सम्माननीय व्यक्ति को भी साहब कहा जाता है. साहब का सायबा रूप संगी, हमजोली, सहचर को सही ढंग से अभिव्यक्त करता है.
दरअसल अंग्रेजी की प्रसिद्ध टर्म फ्रैंड, फ़िलास्फर, गाइड का समन्वय है अरबी का साहिब. दरअसल स्वामी, मालिक,
सर्वशक्तिमान जैसे रूढ़ अर्थों में हिन्दी में साहब शब्द का प्रयोग
बहुत कम होता है. साहब वह है जो पढ़ा-लिखा है. उच्चाधिकारी है. आदरणीय है. हिन्दी
में साहिब का स्त्रीवाची साहिबा होता है जबकि मराठी में साहेबीण. फ़ारसी में साहिब
का साहेब रूप प्रचलित है जबकि तुर्कीश में यह साहिप हो जाता है. मराठी ने फ़ारसी
के साहेब को अपनाया. यह साहेब शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के लिए इस क़दर
रूढ़ हो गया कि कई प्रगतिशील खुद को साहब कहलाना पसंद करते हैं, पर जैसे ही उन्हें साहेब कहा जाए तो बिदकते हैं. यह शब्दों का समाजशास्त्र
है. हिन्दी में संग, साथ के लिए सोहबत शब्द भी खूब इस्तेमाल
होता है. अरबी/उर्दू में यह सुहबत है. सुहबत की रिश्तेदारी भी साहिब से है क्योंकि
दोनों का मूल साद-हा-बा अर्थात ص/ح/ب ही है जिसमें संगत का भाव है. दुनियाभर के
तमाम धर्मों में संगत का बड़ा महत्व है. ज़रूरी नहीं कि साथी कोई व्यक्ति ही हो.
संगत के आध्यात्मिक अर्थ हैं. पुस्तकों से लेकर विचारों तक का साथ मनुष्य के जीवन
को उत्कर्ष की ओर ले जाता है. यह साथ पथप्रदर्शक होता है. बाइबल, गीता, कुरान अपने अपने धर्मों
की पथप्रदर्शक ही हैं. सिख धर्म के प्रमुख ग्रन्थ के साथ साहिब शब्द तो सब कुछ
साफ-साफ कह रहा है. ग्रन्थ ही साहिब अर्थात पथप्रदर्शक हैं. वैसे संगी का एक अर्थ
जोड़ीदार भी होता है इसलिए सोहबत में संगत के साथ साथ स्त्री-पुरुष का मेल,
समागम-सम्भोग जैसे भाव भी हैं. आज से क़रीब सत्तर साल पहले तक साहब
से बने करीब साहब से बने दर्जनों युग्मपद हिन्दुस्तानी में प्रचलित थे जैसे
साहिबे-आलम, साहिबे-दौलत, साहिबे-नसीब
आदि. मद्दाह साहब के कोश में इस तरह के अस्सी से ज़्यादा युग्मपदों का इंदराज है.
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