बहसबाज़ी के इस लठ्ठमार युग में न किसी सन्दर्भ की ज़रुरत पड़ती है न प्रसंग की. उपसंहारों तक सारे के सारे पहले से ही पहुँच चुके हैं.
राजीव नयन बहुगुणा का यह फेसबुक स्टेटस मैं अपने बालसखा दिनेश सेमवाल की वॉल से साझा कर रहा हूँ-
प्रश्न :- क्या टाइम हो रहा है?
उत्तर :- मैं अपना सर क़लम करके फेंक दूंगी.
प्रश्न :- दिल्ली से आगरा कितनी दूर है?
उत्तर :- तुम सबने मुझसे चिट्ठी लिखवाई.
प्रश्न :- जामुन बेहतर है कि बेर?
उत्तर:- मैंने तुम्हारे बच्चे का एडमिशन कराया था.
प्रश्न :- अक़्ल बड़ी या भैंस?
उत्तर :- मेरा नाम अमुक तमुक है.
प्रश्न :- कपास का उत्पादन कहाँ अधिक होता है?
उत्तर:- मेरी जाति बताओ.
प्रश्न :- जो पूछा , आप वह तो बताओ.
उत्तर :- जाओ, जाओ तुम कुछ सुनना ही नही चाहते.
उत्तर :- मैं अपना सर क़लम करके फेंक दूंगी.
प्रश्न :- दिल्ली से आगरा कितनी दूर है?
उत्तर :- तुम सबने मुझसे चिट्ठी लिखवाई.
प्रश्न :- जामुन बेहतर है कि बेर?
उत्तर:- मैंने तुम्हारे बच्चे का एडमिशन कराया था.
प्रश्न :- अक़्ल बड़ी या भैंस?
उत्तर :- मेरा नाम अमुक तमुक है.
प्रश्न :- कपास का उत्पादन कहाँ अधिक होता है?
उत्तर:- मेरी जाति बताओ.
प्रश्न :- जो पूछा , आप वह तो बताओ.
उत्तर :- जाओ, जाओ तुम कुछ सुनना ही नही चाहते.
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