Thursday, March 24, 2016

परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की

आवाज़ छाया गांगुली की. कलाम नज़ीर अकबराबादी का-


जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की
और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की
परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की
ख़म शीशएजाम छलकते हों तब देख बहारें होली की         
महबूब नशे में छकते हों तब देख बहारें होली की

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