नज़ीर अकबराबादी की होली -
फ़ोटो navbharattimes.indiatimes.com से साभार |
बजा लो तब्लो तरब इस्तमाल
होली का
हुआ नुमूद में रंगो जमाल
होली का
भरा सदाओं में, रागो ख़़याल होली का
बढ़ा ख़ुशी के चमन में
निहाल होली का
अज़ब बहार में आया जमाल
होली का
हर तरफ़ से लगे रंगो रूप
कुछ सजने
चमक के हाथों में कुछ
तालियाँ लगी बजने
किया ज़हूर हँसी और ख़ुशी
की सजधज ने
सितारो ढोलो मृदंग दफ़ लगे
बजने
धमक के तबले पै खटके है
ताल होली का
जिधर को देखो उधर ऐशो चुहल
के खटके
हैं भीगे रंग से दस्तारो
जाम और पटके
भरे हैं हौज कहीं रंग के
कहीं मटके
कोई ख़ुशी से खड़ा थिरके
और मटके
यह रंग ढंग है रंगी खिसाल
होली का
निशातो ऐश से चलत तमाशे
झमकेरे
बदन में छिड़कवाँ जोड़े
सुनहरे बहुतेरे
खड़े हैं रंग लिए कूच औ
गली घेरे
पुकारते हैं कि भड़ुआ हो
अब जो मुँह फेरे
यह कहके देते हैं झट रंग
डाल होली का
ज़रूफ़ बादए गुलरंग से
चमकते हैं
सुराही उछले है और जाम भी
छलकते हैं
नशों के जोश में महबूब भी
झमकते हैं
इधर अबीर उधर रंग ला
छिड़कते हैं
उधर लगाते हैं भर-भर गुलाल
होली का
जो रंग पड़ने से कपड़ों
तईं छिपाते हैं
तो उनको दौड़ के अक्सर
पकड़ के लाते हैं
लिपट के उनपे घड़े रंग के
झुकाते हैं
गुलाल मुँह पे लगा ग़ुलमचा
सुनाते हैं
यही है हुक्म अब ऐश
इस्तमाल होली का
गुलाल चहरए ख़ूबाँ पै यों
झमकता है
कि रश्क से गुले-ख़ुर्शीद
उसको तकता है
उधर अबीर भी अफ़शाँ नमित
चमकता है
हरेक के ज़ुल्फ़ से रंग इस
तरह टपकता है
कि जिससे होता है ख़ुश्क
बाल-बाल होली का
कहीं तो रंग छिड़क कर कहें
कि होली है
कोई ख़ुशी से ललक कर कहें
कि होली है
अबीर फेंकें हैं तक कर
कहें की होली है
गुलाल मलके लपक कर कहें कि
होली है
हरेक तरफ़ से है कुछ
इत्तिसाल होली का
यह हुस्न होली के रंगीन
अदाए मलियाँ हैं
जो गालियाँ हैं तो मिश्री
की वह भी डलियाँ हैं
चमन हैं कूचाँ सभी सहनो
बाग गलियाँ हैं
तरब है ऐश है, चुहलें हैं , रंगरलियाँ हैं
अजब 'नज़ीर' है फ़रखु़न्दा हाल होली
का
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