Tuesday, August 2, 2016

सेनेका की सीखें - 1


इटली के प्राचीन दार्शनिक सेनेका ने अपनी दो हज़ार साल पुरानी किताब 'ऑन द शॉर्टनेस ऑफ़ लाइफ़' में लिखा है - 

"ऐसा नहीं है कि हमें जीने के लिए कम समय मिलता है. दरअसल हम बहुत सारा समय बर्बाद कर देते हैं. जीवन पर्याप्त लम्बा होता है और अगर हम उसका सही निवेश करें तो उच्चतम उपलब्धियों को पा सकने के लिए वह समुचित मात्रा में उदार भी है. लेकिन जब उसे अनावश्यक सुख के लिए तबाह किया जाता है और अच्छे कामों में नहीं लगाया जाता, अंत में मृत्यु की आख़िरी लाचारी हमें मजबूर कर देती है कि हमें अहसास होने लगे कि वह बीत चुका है इसके पहले कि उसके बीतने का हमें पता लगता. सो दरअसल यह बात है: हमें संक्षिप्त जीवन नहीं मिलता मगर हम उसे संक्षिप्त बना देते हैं. और यह कि उसकी आपूर्ति हमारे लिए कम नहीं     है और हम उसे बर्बाद करते जाते हैं ... अगर हम जान सकें कि उसे कैसे इस्तेमाल किया जा सके, जीवन लंबा होता है. लोग अपनी व्यक्तिगत संपत्ति को बचाने के मामले में कंजूस होते हैं लेकिन जैसे ही मसला समय को बर्बाद करने का आता है वे उस चीज़ को यानी समय को लेकर सबसे ज़्यादा बर्बादी करते हैं जिसके लिए कंजूसी बरतना उनके हित में होता."

समय बर्बाद करने वालों के लिए उनके पास एक स्पष्ट फटकार भी है -

"तुम इस तरह जी रहे हो जैसे हमेशा जिए चले जाओगे. तुम्हें अपनी भंगुरता का ज़रा भी अहसास नहीं होता; तुम इस बात पर ध्यान नहीं देते कि कितना समय बीत चुका है, उलटे तुम उसे इस तरह बर्बाद करते हो जैसे  कि तुम्हारे पास उसकी भरपूर सप्लाई मौजूद है - जबकि हो सकता है कि जिस दिन को आप किसी और चीज़ या किसी और व्यक्ति पर लगा रहे हैं, वह आपका आख़िरी दिन हो. जिस चीज से तुम्हें भय लगता है उसके  सामने तुम नश्वर प्राणी की तरह व्यवहार करते हो, और जिसकी तुम्हें कामना होती है उसके सामने तुम अमर बन जाते हो ... जब जीवन ख़त्म होते को होता है,तब तक जीना शुरू करने के लिए कितनी देर हो चुकी होती है! अपनी नश्वरता को भूल जाना और अपनी विवेकपूर्ण योजनाओं को उम्र के पचासवें या साठवें साल तक  स्थगित करते जाना कितनी बड़ी मूर्खता है! कितनी बड़ी मूर्खता है कि आप जीवन को उस बिंदु से शुरू करने को लक्ष्य बना लेते हैं जहाँ तक बहुत कम लोग पहुँच सके हैं!"
                                                                                                                        (जारी)