Monday, February 6, 2017

गाल गुलाल दृगन बिच अंजन



बेहतरीन शास्त्रीय गायक और नगर नैनीताल की शान प्रिय रवि जोशी ने आज से कोई एक साल पहले मुझे कुमार गन्धर्व जी की एक महफ़िल का वीडियो भेजा था. एक घंटे लम्बे उस वीडियो से यह छोटा सा टुकड़ा मैंने कबाड़खाने पर लगाया था जो अब मिल नहीं रहा. इस में पंडिज्जी ने कुमाऊँ में गयी जाने वाली विख्यात होली 'बृजमंडल देस दिखाओ रसिया' को भी गाया है.  अभी सुबह मृत्युंजय ने इसे लगाने की फरमाइश की. पेश है यह दुर्लभ रचना - 


                        रसिया को नार बनावो री 
                        गाल गुलाल दृगन बिच अंजन, बेंदी भाल लगावो री
                        कटि लहंगा उर माल कंचुकी, चूंदर शीश उढ़ाओ री
                        बाँह बडा बाजूबंद सोहे, नकबेसर पहराओ री
                        आरसी छल्ला और खंगवारी, अनपट बिछुआ पहराओ री
                        नारायण करतारी बजाय के, जसुमति निकट नचाओ री 

1 comment:

thegroup said...

bahut sundar hai , maja aaya. ab iska ek ghante wala bhi uplabdh karaao tab Holi manegi.