Thursday, November 16, 2017

पंछियो तुम हमारे आदर्श नहीं हो


पंछीनामा
-इब्बार रब्बी

1. तेरा पेड़

ये तेरा पेड़, ये मेरा पेड़
ये तेरी डाल, ये मेरी डाल
मेरे पेड़ पर मत आना
मेरी डाल पर मत बैठना
मुक़दमा करूंगा
सभ्य हैं,
सिर्फ़ चिड़िया नहीं हैं हम

अबे! क्यों आदमी की
नकल करता है

2. खाली जंगल

खाली पड़ा है जंगल
शरद का इन्तज़ार है
पक्षी आएंगे
उनका इन्तज़ार है
डाल खाली है
खड़े हैं वृक्ष
खाली है सरोवर
पक्षियों का इन्तज़ार है

3. पंछी का नाम

इस पंछी का नाम क्या है
कोई भी तो नहीं
नाम तक नहीं रहा
कुछ ग्रीक में बता दें
हिन्दी में कुछ नहिं कहते
ब्रज में भी कुछ नहीं
दो सौ साल से किसी ने पुकारा नहीं
आदमी हमें जानता नहीं
हमारा कोई नाम नहीं रहा

अब लैटिन में मिलेगा
क़िताबों में दिखेगा
हमें कोई नहीं पुकारता

गिनती के सौ चिड़ीमार
यूँ ही कुछ कह लेते

4. घना पक्षी विहार

झील के बीच पेड़ पर बैठे हैं
कुछ नहीं कर रहे
सुस्ता रहे हैं।

न बैंक में लॉकर
न चोरी की चिन्ता
न घर की रखवाली
न काम पर जाना
न मकान बनवाना
न बच्चे को पढ़ाना
न प्यारी की चिन्ता,
न बेटी की शादी,
न माँ का इलाज,
न अस्पताल के चक्कर
न मकान का किराया
न राशन की दुकान
न गैस का सिलैन्डर
न कोयले की कमी
न चीनी का अकाल.
न हड़ताल तोड़नी है.
न कविता लिखनी है.

जब मन हुआ
साइबेरिया चल दिए,
इधर आ गए
जितनी देर, जब तक चाहा
बबूल पर टंगे रहे
खडयार में उलझे
करील में उतर गए
जब मन किया झील में तैरे
मछली खाई, कीड़ा मारा,
घास कुतर गए.
भूख से ज़्यादा खा लिया
अफ़ारा लिया
धूप सेक ली.

झील के पंछियो
तुम हमारे आदर्श नहीं हो.


[1981]