उस
औरत की गोद में
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इब्बार रब्बी
उस
औरत की गोद में बच्चा
मैं
बच्चे को देख रहा हूँ
और
औरत को
मैं
मैं नहीं रहा
गोद
में हो गया
फूल
की तरह भारहीन
गीत
की तरह कोमल
उस
औरत की गोद में
लाख-लाख
औरतों की गोद में
धरती
की गोद में
पुरानी, बहुत
पुरानी कब्र की तरह
[1979]
2 comments:
वाह
बहुत ही सुन्दर व कोमल भाव रचना का
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