Tuesday, December 12, 2017

धरती की गोद में बहुत पुरानी कब्र की तरह

उस औरत की गोद में
- इब्बार रब्बी

उस औरत की गोद में बच्चा
मैं बच्चे को देख रहा हूँ
और औरत को

मैं मैं नहीं रहा
गोद में हो गया
फूल की तरह भारहीन
गीत की तरह कोमल
उस औरत की गोद में


लाख-लाख औरतों की गोद में
धरती की गोद में
पुरानी, बहुत पुरानी कब्र की तरह


[1979]

2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

वाह

'एकलव्य' said...

बहुत ही सुन्दर व कोमल भाव रचना का