शेफाली फ्रॉस्ट का पहला
संग्रह ‘अभी मैंने देखा’ पिछले साल अन्तिका प्रकाशन से छप कर
आया है. इस घटना को मैं व्यक्तिगत रूप से हिन्दी कविता में एक अलग तरह की अनूठी,
जनधर्मी, प्रयोगशील और अवाँ गार्द रचनाशीलता
का उदय कहता हूँ. मुझे गर्व है कि कबाड़खाने ने शेफाली की तमाम शुरुआती कविताओं को
छापा था. शेफाली मेरी अन्तरंग दोस्त हैं और बहुआयामी प्रतिभा की धनी. वे वर्तमान
में इंग्लैण्ड में रह रही हैं और एक साथ दो स्क्रीनप्ले लिख रही है. अपनी यह ताज़ा
कविता उन्होंने मुझे आज ही भेजी. मूल कविता अंग्रेज़ी में है, जिसके अनुवाद में हम दोनों ने काम किया है.
पाब्लो पिकासो की पेंटिंग 'गर्ल बिफ़ोर अ मिरर' |
पानी की जिल्द
- शेफाली फ्रॉस्ट
फट पड़ने तक
सलेटी गहरा चुके आसमान में
मेरे साथ इंतज़ार करती है
एक हैरान गौरैया.
मेरे हाथ में भिंची है
उसकी पसलियों की गोलाई
जहां एक दिल को होना ही नहीं चाहिए था,
उसकी चोंच लय में दस्तक देती है
मेरी प्रार्थना को कभी चीखनी नहीं
चाहिए थीं
वे खामोश गालियाँ
- ईश्वर पर.
वह पानी की पतली झिल्ली पर
पंजों से चोट करती जा रही है,
बनते जा रहे हैं जाल
- खून की नन्ही बूंदों से,
मैं अपने नाखून चबाती हूँ
हमेशा से कहीं ज्यादा अनिश्चित
- पता है एक बार प्रेम किया था किसी से
मैंने
पर उसने प्रेम नहीं किया
मुझसे
शेफाली फ्रॉस्ट |
2 comments:
नववर्ष मंगलमय हो सभी को ।
वाह सुन्दर कृति।
बहुत अच्छी लगी कविता...
शेफाली फ्रॉस्ट के पहली नई कविता संग्रह ‘अभी मैंने देखा’ के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई!
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