Wednesday, March 7, 2018

एक परछाई बची है पूरे नाटक के बाद

असम्भव शहर में रात
- नवीन सागर

मैं रुक गया देखने
आखिर कौन है
मैंने देखा अभी रूकना उसका
अपने पास
अभी वह परछाई के भीतर
दिख नहीं रहा है
उसे देखने जाता हूं अचानक उसके भीतर
तो दिख नहीं रहा हूं मैं.

एक परछाई बची है
पूरे नाटक के बाद
थिएटर बंद है उसके बाहर
असंभव शहर में रात

घण्‍टों की तरह बज रही है.

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