Saturday, October 13, 2007

आशुतोष उपाध्याय की एक सूक्ति



चूतिये के घर तीतर
बाहर बांधे या भीतर

7 comments:

अजित वडनेरकर said...

पल्ले भी पड़ गई और समझ भी आ गई और आप धन्यवाद भी ले लो जी।

शिरीष कुमार मौर्य said...

मेरा पाला ऐसे कुछ चूतियों से रोज पड़ता है।
वैसे फोटू में तीतर है कि चकोर?
बचपन में एक चकोर मेरे भी घर था और मेरी हालत भी ऐसी ही थी - कोई बात नहीं ! तीतर और चकोर एक ही प्रजाति के हैं और हमें भी चूतिया होने का अधिकार है ! मैदानी तीतर पहाड़ी चकोर हो जाया करे है !
जे बुडबाज्यू भोत खतरनाक दिक्खें मिझे ! ऐसी सूक्तियां दो-चार और आईं तो हम तो ढेर हो जावेंगे भइया !

मुनीश ( munish ) said...

sundar hai. sasta sher ko bhi navazen bhaai.

आशुतोष उपाध्याय said...

जे तो अपनी परसनल फलासफी हैगी। या कूं चोराहे पे लाने का मतबल!! जे तो बोई बात हुई के `कबिरा इस संसार में भांति-भांति के लोग.....´

शिरीष कुमार मौर्य said...

फिलासफी पर्सनल ही हुआ करे आशुतोष दद्दा !
वो तो बाद में उसका हल्ला हो जाया करे है
.........../अगर वो काम की हुई तो !
जे फिलासफी तो भोत काम की दिक्खे मिझे।

Dinesh Semwal said...

yay to titar ko decide karnay do,jahan marji hogi wahan rayega!!!

dinesh semwal

Ashok Pande said...

Asal chakkar teetar aur chutiye kee pehchaan aur kya kehte hain ...astitv ... haa ASTITV ka hai Dinesh Babu.