Tuesday, November 27, 2007

वाम वाम वाम दिशा

वाम वाम वाम दिशा

शमशेर बहादुर सिंह


वाम वाम वाम दिशा,
समय साम्यवादी।
पृष्ठभूमि का विरोध अन्धकार-लीन। व्यक्ति ...
कुहास्पष्ट ह्रदय - भार, आज हीन।
हीनभाव, हीनभाव
मध्यवर्ग का समाज, दीन।


किन्तु उधर
पथ-प्रदर्शिका मशाल
कमकर की मुट्ठी में - किन्तु उधर:
आगे आगे जलती चलती है
लाल-लाल
वज्र- कठिन कमकर की मुट्ठी में
पथ-प्रदर्शिका मशाल।

भारत का
भूत-वर्तमान औ भविष्य का वितान लिए
काल- मान- विज्ञ मार्क्स-मान में तुला हुआ
वाम वाम वाम दिशा,
समय : साम्यवादी।

अंग - अंग एकनिष्ठ
ध्येय - धीर
सेनानी

वीर युवक
अति बलिष्ठ
वामपन्थगामी वह ...
समय: साम्यवादी।

लोकतंत्र-पूत वह
दूत, मौन, कर्मनिष्ठ
जनता का:
एकता-समन्वय वह ...
मुक्ति का धनंजय वह
चिरविजयी वय में वह
ध्येय-धीर
सेनानी

अविराम
वाम-पक्षवादी है ...
समय : साम्यवादी।

3 comments:

बालकिशन said...

देखियेजी सच बात कहता हूँ. देखने मैं तो बहुत सुंदर लग रही है ये कविता पर ये शायद मेरी कमजोरी हो कि बहुत कुछ समझ नही पाया हूँ. अगली पोस्ट मे हो सके तो इसका अर्थ जरुर देवे.

Arun Rautela said...

Ashok Bhai kavita par ke annad aa gaya. tumne bahut purani yado ko taza kar diya. aise hi lage raho dost.

babanpandey said...

क्या वामपंथी अपनी लीक नहीं बदलते मेरे भी ब्लॉग पर आये