(यह एक अप्रकाशित रचना है। लीलाधर जगूड़ी जी का फोटो हमारे कबाड़ी फोटूकार मित्र रोहित उमराव का है)
गजब की पंक्तियां है. फोटो भी मस्त है. रोहित उमराव! अगली बार हल्द्वानी आया तो मेरा भी फोटो खींचना पड़ेगा.
ditto....
कितनी गहरी और प्रतीकात्मक बात कही है- ' ठंड की तानाशाहीविचारधारा के बिना भी कायम है।'कृपया जगूड़ी जी की ज्यादा से ज़्यादा कवितायें पढ़वाएं!फोटो वाकई प्रभावशाली है. बधाई!
Post a Comment
3 comments:
गजब की पंक्तियां है. फोटो भी मस्त है. रोहित उमराव! अगली बार हल्द्वानी आया तो मेरा भी फोटो खींचना पड़ेगा.
ditto....
कितनी गहरी और प्रतीकात्मक बात कही है- ' ठंड की तानाशाही
विचारधारा के बिना भी कायम है।'
कृपया जगूड़ी जी की ज्यादा से ज़्यादा कवितायें पढ़वाएं!
फोटो वाकई प्रभावशाली है. बधाई!
Post a Comment