Tuesday, December 4, 2007

नंदीग्राम और तसलीमा पर लीलाधर जगूड़ी की एक छोटी कविता



विचारधारा की तरह
कहीं कहीं बची है चोटियों पर बर्फ



पर ठंड की तानाशाही
विचारधारा के बिना भी कायम है।



(यह एक अप्रकाशित रचना है। लीलाधर जगूड़ी जी का फोटो हमारे कबाड़ी फोटूकार मित्र रोहित उमराव का है)

3 comments:

Bhupen said...

गजब की पंक्तियां है. फोटो भी मस्त है. रोहित उमराव! अगली बार हल्द्वानी आया तो मेरा भी फोटो खींचना पड़ेगा.

मुनीश ( munish ) said...

ditto....

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

कितनी गहरी और प्रतीकात्मक बात कही है- ' ठंड की तानाशाही
विचारधारा के बिना भी कायम है।'
कृपया जगूड़ी जी की ज्यादा से ज़्यादा कवितायें पढ़वाएं!
फोटो वाकई प्रभावशाली है. बधाई!