कुमार गन्धर्व जी का गाया कबीरदास का एक अदभुत भजन। मालवे में रहने वालों के लिए ज्यादे ही खास।
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो ।।
चंदन काठ के बनल खटोला
ता पर दुलहिन सूतल हो।
उठो सखी री माँग संवारो
दुलहा मो से रूठल हो।
आये जम राजा पलंग चढ़ि बैठा
नैनन अंसुवा टूटल हो
चार जाने मिल खाट उठाइन
चहुँ दिसि धूं धूं उठल हो
कहत कबीर सुनो भाई साधो
जग से नाता छूटल हो
(३ मिनट ८ सेकेंड)
9 comments:
आपके ब्लॉग का फैन हूं। मैं भी और परिवार के बाकी लोग भी।
naayaab cheez sunvaaney ka bahut aabhaar..
जबर्दस्त आनंदमय प्रस्तुति.
अगर 'भोला मन जाने अमर मेरी काया ' सुनवा दें कुमार गन्धर्व की आवाज़ में तो कुछ आनंद और आ जाये ।
आनंद आ गया । आजकल आप कुछ दिलचस्प चीजें इफरात में पेश कर रहे हैं । अच्छा है ।
दिव्य है !!!
लाखों बार आभार.....इस निर्गुन-भजन को सुनाने के लिए
भोर के पवन के सामान शीतल और शुद्ध भजन |
सारगर्भित रचना सुनवाने हेतु आभार.
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