अविनाश दा...शर्म आती है सोचकर कि बीएचयू में तीन साल बिताकर भी ऐसे रत्नों की पहचान ही ना हो सकी, हालाँकि तुलसी घाट-संकट मोचन के वार्षिक समारोहों में बिन-नागा जाया करता था...मगर तब 'क्या सुना' से अधिक ये महत्वपूर्ण था कि 'किसको सुना'...उफ़्फ़ कितना बचकाना लगता है अब वो सब!!!पिछले दिनों पंडितजी को पहली बार तुलसी रामचरितमानस में सुना और तबसे इसी ताक में था कि और क्या सुनूँ, कि ऐसे में आपके कबाड़ में रत्नों का भंडार मिल गया...असंख्य धन्यवाद...
Aisi wastu baanti aapne mujhe jisko leke "dhanyawaad" kehne me kuch galat sa lag raha hai mujhe.Apne jis bhawna se diya koshish karunga usi bhawna se mai bhi ise kisi ko duun.
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अविनाश दा...शर्म आती है सोचकर कि बीएचयू में तीन साल बिताकर भी ऐसे रत्नों की पहचान ही ना हो सकी, हालाँकि तुलसी घाट-संकट मोचन के वार्षिक समारोहों में बिन-नागा जाया करता था...मगर तब 'क्या सुना' से अधिक ये महत्वपूर्ण था कि 'किसको सुना'...उफ़्फ़ कितना बचकाना लगता है अब वो सब!!!पिछले दिनों पंडितजी को पहली बार तुलसी रामचरितमानस में सुना और तबसे इसी ताक में था कि और क्या सुनूँ, कि ऐसे में आपके कबाड़ में रत्नों का भंडार मिल गया...असंख्य धन्यवाद...
बेहतरीन...
धन्यवाद !
बेहतरीन...
धन्यवाद !
Namameesh meeshan, nirwaan rupam,
vibhum ,vyapakam ,bramha ved swarupam,
nijam nirgunam , nirvikalpam, niruham,
Chidakash, makash, vasam bhajehum..
Badhiya prastuti.
Aabhar
कोटि धन्यवाद आपका ...
Aisi wastu baanti aapne mujhe jisko leke "dhanyawaad" kehne me kuch galat sa lag raha hai mujhe.Apne jis bhawna se diya koshish karunga usi bhawna se mai bhi ise kisi ko duun.
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