किराना घराने के शीर्षस्थ स्वर पं.भीमसेन जोशी भारतीय शास्त्रीय संगीत की जीवित-किंवदंती हैं.जीवन की संध्या-बेला में भीमसेनजी अस्वस्थ हैं.सवाई गंधर्व के इस समर्थ शिष्य को सफलता थोड़ी देर से मिली लेकिन उसके बात की सारी महफ़िलें इतिहास हैं.किराना घराने में तानों को जिस भव्यता के साथ पेश किया जाता है वह सुनने वाले को रोमांचित देता है.उस्ताद अब्दुल करीम ख़ाँ साहब,सुरेशबाबू माने,सरस्वती राणे,हीराबाई बडोदकर,रोशनाआरा बेगम(सभी अब्दुल करीम ख़ाँ साहब का कुटुम्ब)डॉ.प्रभा अत्रे और स्वयं भीमसेन जोशी ने किराना घराने और धारवाड़(कर्नाटक) की मिट्टी को अपने फ़न से उपकृत किया है. क्या ग़ज़ब की उर्जा है इस इलाक़े में कि यहीं से मल्लिकार्जुन मंसूर,वसवराज राजगुरू और पं.कुमार गंधर्व जैसे स्वनामधन्य कलाकारों की लम्बी फ़ेहरिस्त बनाई जा सकती है.
पं.भीमसेन जोशी जब गा रहे हो तान की लपट जैसे तूफ़ान बरपा देती है.
भीमसेन जी ने अपना स्वयं का स्वर-विन्यास गढ़ा है.पहाड़ी स्वर जब उनके
कंठ से फ़ूटता है तो आप सिर्फ़ और सिर्फ़ ख़ामोश होने के अलावा कुछ नहीं कर सकते. भीमसेन जी ने अपनी ज़िन्दगी में बहुत संघर्ष किया है . वह एक लम्बी कहानी है.हाँ एक बात यकायक याद आ गई.इन्दौर में पंडितजी का एक कंसर्ट था.
किसी ने एक रचना के बाद के विराम के दौरान चिल्ला कर फ़रमाइश की मिले सुर मेरा तुम्हारा गाइये...पंडितजी ने तुरंत जवाब दिया वह मैने भारत सरकार को बेच दिया ; उसकी फ़रमाइश यहाँ मत कीजिये.
अपने गुरू पंडित सवाई गंधर्व के लिये प्रतिवर्ष पुणे में विगत पचास वर्षों से अधिक समय से प्रतिष्ठित सवाई गंधर्व संगीत समारोह आयोजित करने वाले पं.भीमसेन जोशी भारतीय शास्त्रीय संगीत का ध्रुव तारा हैं.
आज यहाँ सुनते हैं पं.भीमसेन जोशी का गाया राग सूर मल्हार. विलम्बित और द्रुत दो रचनाओं में निबंध्द बंदिश को जब आप सुनेंगे तो महसूस करेंगे कि कहीं आसपास बिजलियाँ चमक उठीं हैं और बादलों की गड़गड़ाहट से गूँज रहा है सारा आलम.
10 comments:
कमाल है, क्या समां बाँध दिया , संजय भाई इस आलेख के लिए आपकी जितनी तारीफ कि जाए कम है, मुरीद हो गया हूँ आपका ...
सावन की बून्दनियाँ ..बरसत घनघोर !
gazab..behtreen post
वाह ! बलिहारी ! पंडित की जय हो !
ज़बरदस्त पहली पोस्ट लगाई आपने संजय भाई. आत्मा तक पहुंचा पंडित जी का मन्द्र मेघ स्वर. उत्तम आलेख ने चार चांद लगा दिए. आभारी हूं.
बेहतरीन!! आभार इस प्रस्तुति के लिए.
डिव शेयर की सुविधा है कि डाउनलोड भी किया जा सकता है,सो सुनते हुए यह काम भी कर लिया। बहुत शुक्रिया।
भइया जी!
बल्ले-बल्ले!!
जी जुड़ा गया
आनंद-आनंद!!
" राम श्याम गुणगान " सी.डी. के रीलीज़ के वक्त
उन् से तथा उनकी पत्नि से
मुलाकात हुई थी
और पँडितजी के स्वर -घोष के तो बहुत पहले से प्रसँसक रहे हैँ हम भी :)
- लावण्या
अत्यन्त सुन्दर संगीत सुनवाने का धन्यवाद संजय पटेल जी.
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