ऐसा लगता हैअन्ना अख़्मातोवाऐसा लगता है जैसे कभी नहीं सुनाई देगी
आदमी की आवाज़ इस जगह.
बस प्रस्तरयुगीन हवा
दस्तक दे रही है काले द्वारों पर
ऐसा लगता है
मानो आसमान के नीचे बस मेरा ही स्वास्थ्य रहा है ठीक,
शायद इसीलिये, सब से पहले मैंने चाहा,
वह ख़तरनाक शराब पी जाना!
(फ़ोटो: ऊपर- सेन्ट पीटर्सबर्ग में अन्ना का स्मारक, नीचे - अन्ना की कब्र)
2 comments:
बहुत उम्दा प्रस्तुति!!
Achhi kavita aur pictures hai...
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