Tuesday, November 18, 2008

आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आए


उन्नीस सौ अस्सी का साल था. मेरी उम्र थी कुल चौदह बरस और हॉस्टल में सीनियर्स की डॉर्मेट्री में रखे और उन्हीं के अधिकारक्षेत्र में आने वाले रेकॉर्ड प्लेयर पर बहुत ही मुलायम आवाज़ में लगातार एक गीत बजा करने लगा था. इस डॉर्मेट्री से कभी तो बोनी एम या फ़ंकी टाउन जैसे गीतों की आवाज़ आया करती थी या सदाबहार मोहम्मद रफ़ी और किशोर कुमार, पर इधर "आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आए" ने बाक़ी सारे संगीत को हाशिये में डाल दिया था.

लन्दन में रहने वाले संगीत निर्देशक बिद्दू ने यह गीत जब रेकॉर्ड किया था, नाज़िया हसन पन्द्रह साल की थीं. बाद में यह फ़ीरोज़ ख़ान की फ़िल्म 'क़ुर्बानी' के सुपरहिट होने की वजह बना. लता-किशोर-रफ़ी-मुकेश के एकाधिकार में जैसे अचानक इस किशोरी ने सेंध लगाई और समूचे भारतीय उपमहाद्वीप के पॉप संगीत परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया.

इस गीत की सफलता से उत्साहित होकर बिद्दू ने नाज़िया के भाई ज़ोहेब हसन के साथ 'डिस्को दीवाने' अल्बम निकाला. इस अल्बम ने तो नाज़िया हसन को रातोंरात बहुत बड़ा स्टार बना दिया. भारत-पाकिस्तान में तो इस रेकॉर्ड की ज़बरदस्त बिक्री हुई ही, लैटिन अमरीकी देशो ख़ास तौर पर ब्राज़ील में यह अल्बम पहले नम्बर तक भी पहुंचा. डेविड सोल से लेकर ज़िया मोहिउद्दीन जैसे लोगों ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए ज़ोहेब-नाज़िया के इन्टरव्यू लिये.

भारत में बिनाका गीतमाला में चौदह हफ़्ते टॉप पर रहने के बाद "आप जैसा कोई" अन्ततः चौथे नम्बर पर रहा.

नाज़िया अगले कई सालों तक संगीत की दुनिया के अलावा ग़रीब बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में लम्बे समय काम करती रहीं अलबत्ता इस बारे में बहुत ज़्यादा सूचनाएं हमारे यहां नहीं पहुंचीं. पाकिस्तान में रहते हुए नाज़िया हसन ने राजस्थान के ग़रीब बच्चों के लिए धन जुटाने में मशक्कत की. संगीत नाज़िया का शौक भर था. लोकप्रियता के क्षेत्र में झण्डा गाड़ चुकने के बाद उसने इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई समाप्त की और संयुक्त राष्ट्रसंघ के लिए काम किया.

३० मार्च १९९५ को नाज़िया का विवाह मिर्ज़ा इश्तियाक़ बेग से हुआ. यह एक त्रासकारी संबंध था और ३ अगस्त २००० को कानूनी तौर पर घोषित तलाक के साथ समाप्त हुआ. दस दिन बाद यानी १३ अगस्त को फेफड़े के कैंसर के कारण उसकी मृत्यु हो गई.

पति और बच्चे के साथ

हो सकता है संगीत के मर्मज्ञ इसे बचकाना कहें पर मेरा ठोस यक़ीन है कि नाज़िया हसन के बाद भारतीय फ़िल्म और पॉप संगीत का चेहरा पूरी तरह बदल गया था. आज के लोकप्रिय संगीत की सतह को ध्यान से खुरचा जाए को आप पाएंगे कि नाक से गाने वाली इस सुन्दर, दुबली-पतली किशोरी ने साल - दो साल में जो कुछ किया उसने आने वाले समय में अलीशा चिनॉय, लकी अली, इंडियन ओशन जैसे अनगिन नामों के लिए मजबूत बुनियाद तैयार कर दी थी. प्रस्तुत है नाज़िया हसन का गाया वही विख्यात गीत:

6 comments:

कंचन सिंह चौहान said...

geet to nahi sun saki... parantu jaankaari achchhi lagi

दिनेशराय द्विवेदी said...

गीत खूब सुना है,आज आप के सौजन्य से फिर से सुना। मगर नाजिया के बारे में सुन कर मन बहुत खट्टा हो गया।

siddheshwar singh said...

आह, यह इस पोस्ट से ही जान सका कि नाजिया की आवाज ही अब बाकी है.साज कब का खाक हो चुका है.

Yunus Khan said...

सच है कि नाजिया के 'आप जैसा कोई' और 'डिस्‍को दीवाने' ने एशियाई पॉप म्‍यूजिक पर गहरा असर डाला । नाजिया जैसी नशीली आवाज़ें बहुत कम आई हैं । जब उनकी मौत की खबरा आई जैसे यकीन ही नहीं हुआ था कि एक बेहद जवान और चमकीली आवाज चली गई है ।

दीपक said...

एक अच्छी जानकारी दी आपने !! आभार

गणेश जोशी said...

एसी खूबसूरत आवाज का त्रासद अंत...................