Friday, March 6, 2009

अबिर गुलाल के बादल छाए...

अब तो
केवल बिरज में ही नहीं सब जगह होली है...
अबिर गुलाल के बादल छाए...
आइए सुनते हैं
अपने पसंदीदा अलबम 'पापी जिया नहीं माने' में संकलित यह फगुनाया रसिया -
आज बिरज में होली रे रसिया




स्वर : शोभा गुर्टू
तबला : उस्ताद निजामुद्दीन खान
सारंगी : लियाक़त अली खान
हारमोनियम : पी. वालवलकर

( मन करें तो यहाँ भी हो लें -हमरी अटरिया पे आजा रे सांवरिया देखा-देखी तनिक हुई जाए )

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