संगीत जगत के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है.
उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए मैं इसी ब्लॉग से कभी उन पर लगाई गई एक पोस्ट को दोबारा लगा रहा हूं.
इक़बाल बानो का नाम ग़ज़ल प्रेमियों में विशिष्ट स्थान रखता है. भारतीय मूल की इस बेहतरीन पाकिस्तानी गायिका ने बहुत सारी ग़ज़लों को स्वरबद्ध किया है. मिर्ज़ा ग़ालिब की संभवतः सबसे लम्बी ग़ज़ल है "मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए". मुझे याद पड़ता है किसी किताब या पत्रिका में मैंने फ़ैज़ अहमद 'फ़ैज़' साहब का एक लम्बा लेख देखा था इस ग़ज़ल के बारे में. हमारे गुलज़ार साहब का बनाया, भूपिन्दर का गाया गीत "दिल ढूंढता है" इसी ग़ज़ल के एक शेर से 'प्रेरित' है.
इक़बाल बानो ने इस कालजयी ग़ज़ल के चन्द शेर गाये हैं. लुत्फ़ उठाइए.
मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए
जोश-ए-कदः से बज़्म चराग़ां किये हुए
करता हूं जमा फिर जिगर-ए-लख़्त-लख़्त को
अर्सा हुआ है दावत-ए-मिज़गां किये हुए
फिर पुरसिस-ए-जराहत-ए-दिल को चला है इश्क़
सामान-ए-सद-हज़ार नमकदां किये हुए
मांगे है फिर किसी को लब-ए-बाम पर हवस
ज़ुल्फ़-ए-सियह रुख़ पे परीशां किये हुए
चाहे है फिर किसी को मुकाबिल में आरज़ू
सुरमे से तेज़ दश्ना-ए-मिज़गां किये हुए
इक नौबहार-ए-नाज़ को ताके है फिर निगाह
चेहरा फ़रोग़-ए-मै से गुलिस्तां किये हुए
ग़ालिब हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए-अश्क से
बैठे हैं हम तहय्या-ए-तूफ़ां किये हुए
7 comments:
बरसों पहले एक निजी सी, आत्मीय सी बैठक में इक़बाल बानों को सुनना और उनसे बातचीत करना याद आ गया। सफेद रंग उन्हें बहुत पसंद था।
ईश्वर उन्हें सुरीला संसार फिर बख्शे....
जानकर अफसोस हुआ। आत्मा के शांति की कामना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
अफसोस
इकबाल बानो जी पर लिखी एक पोस्ट अधूरी पड़ी है, यह खबर देखी तो याद आया।
मेरी श्रृद्धांजलि
एक सुरीली याद रहेगी उनकी सदा सर्वदा ।
हमारी श्रद्धांजली
भगवान इनकी आत्मा को शांति दे.
श्रद्धांजली !
mushkil hai dukh ko bayan karna
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