आज सुबह से ही बहुत उमस है . कुछ करने का मन नहीं है सिवाय संगीत सुनने के. तो वही किया जाय और क्या !
आइए सुनते हैं उस्ताद शुजात खान साहब की प्रस्तुति - छाप तिलक . यह रचना कितनी - कितनी आवाजों है , फिर भी हर बार नई .. इसीलिए तो कालजयी ...अमीर खुसरो की इस सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना के बारे में क्या कहा जाय ! मेरी क्या बिसात. आइए बस्स सुनें... और क्या !
8 comments:
सुखद
सुबह-सुबह प्रेम वटी का मदवा पिलाकर धुत्त कर दिया, अब काम कैसे होगा.......
सुन नहीं सके हुजूर....
यही दिक्कत है। वैसे इसे टीवी पर सुना है...शुजात की अपनी मस्ती है
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वाह, आनंद आगया ! शुक्रिया !
... कहाँ पर लिंक है??????
श्याम जी, यदि आपको प्लेयर न दिख रहा हो तो यहां क्लिक करें: http://www.divshare.com/download/7555177-da8
अद्भुत...
सुखद...
मस्त...
सिद्ध..
और क्या कहूँ.
शब्द कम पड़ गए!
कोटि धन्यवाद.
संगीत में कौन कौन शामिल हैं, कृपया बताये.
~जयंत
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