Wednesday, June 3, 2009

छाप तिलक



आज सुबह से ही बहुत उमस है . कुछ करने का मन नहीं है सिवाय संगीत सुनने के. तो वही किया जाय और क्या !

आइए सुनते हैं उस्ताद शुजात खान साहब की प्रस्तुति - छाप तिलक . यह रचना कितनी - कितनी आवाजों है , फिर भी हर बार नई .. इसीलिए तो कालजयी ...अमीर खुसरो की इस सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना के बारे में क्या कहा जाय ! मेरी क्या बिसात. आइए बस्स सुनें... और क्या !

8 comments:

Vinay said...

सुखद

Nanak said...

सुबह-सुबह प्रेम वटी का मदवा पिलाकर धुत्त कर दिया, अब काम कैसे होगा.......

अजित वडनेरकर said...

सुन नहीं सके हुजूर....
यही दिक्कत है। वैसे इसे टीवी पर सुना है...शुजात की अपनी मस्ती है

मुनीश ( munish ) said...

player didn't appear here.

Syed Ali Hamid said...

वाह, आनंद आगया ! शुक्रिया !

कडुवासच said...

... कहाँ पर लिंक है??????

Ashok Pande said...

श्याम जी, यदि आपको प्लेयर न दिख रहा हो तो यहां क्लिक करें: http://www.divshare.com/download/7555177-da8

जयंत - समर शेष said...

अद्भुत...
सुखद...
मस्त...
सिद्ध..

और क्या कहूँ.
शब्द कम पड़ गए!

कोटि धन्यवाद.

संगीत में कौन कौन शामिल हैं, कृपया बताये.

~जयंत