Thursday, July 16, 2009

उदयप्रकाश या विरोधी : जवाब देना होगा

उदयप्रकाश का पुरस्कार लेना और इसके बाद उठे बवंडर से शायद ही साहित्य जगत अछूता रहे। लेकिन इतना तय है कि यह एक ऐसा गंभीर मसला है जो चुप्पी साधेगा इतिहास उसका भी अपराध लिखेगा। सवाल कई है। उनका जवाब वह नहीं जो हम चाहते हैं, वह भी नहीं जो हम नहीं चाहते हैं। मामला है आधा गिलास खाली है या आधा गिलास पानी भरा हुआ है।
पहले उदयप्रकाश की सफाई पर बात करें तो क्या वह यह मानने के लिए तैयार हैं कि गोरखपुर में हुए समारोह उनका निजी मामला था। योगी के सम्बन्ध उनके परिवार से अच्छे हैं या नहीं उससे साहित्य जगत को कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन यदि बतौर साहित्यकार वह योगी से पुरस्कार ग्रहण करते हैं, तो उस पर आपत्ति जताने का पूरा अधिकार साहित्यप्रेमियों और उनके लेखन के तमाम प्रशंसकों को है। यदि यह पुरस्कार उनका पारिवारिक या निजी मामला है तो क्या वे इस बात पर मुहर लगते हैं कि हर साल यह पुरस्कार उनके किसी परिवार के सदस्यों को दिया जाएगा। क्या वे इस बात पर मुहर लगते हैं उनको यह पुरस्कार इसलिए दिया गया कि वे उनके सम्बन्धी हैं और उन्हें व्यक्तिगत कारणों से सम्मानित किया गया न कि उनकी लेखनी के लिए।
हमाम में सब नंगे हैं। कोई देख लिया तो हम ग़लत साबित होते हैं नहीं देखा तो दुनिया के सबसे बेहतर। (बेहतर की परिभाषा अपने नैतिक और बौद्धिक आधार पर रच लें )। वही हाल इस मामले में भी है। यदि उदयप्रकाश की ही बात मान लें कि वह उनका निजी या पारिवारिक मामला है तो क्या वह इसका विरोध नहीं कर सकते थे कि योगी जैसे व्यक्ति को सम्मान देने के लिए क्यों बुलाया जा रहा है। हाँ, यदि वे यह कहते हैं कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं हैं तो वे साफ-साफ झूठ बोल रहे है।
दूसरा मुद्दा यह है कि जो लोग उनका विरोध कर रहे हैं उनकी इस बारे में क्या गारंटी है कि उन्हें यदि इस तरह का सम्मान पाने का मौका मिले तो वह ग्रहण नहीं करेंगे। भले ही लोग इस मामले पर बात न करें लेकिन अपने गिरेबान में झाँकने की आदत डालनी चाहिए। तमाम विरोध करने वालों में ऐसे कई नाम शामिल हैं जिन्होंने जब भी कोई सम्मान ठुकराया है तो उन्हें इसके पीछे कई राज छुपाये रखा है , चाहे पोपुलारिटी पाने की चाहत क्यों न हो.

5 comments:

प्रीतीश बारहठ said...

मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा बड़ों की देखकर दुनिया, बड़ा होने से ड़रता है

लाहुली said...

o come on preeeesh jee, dont be afraid... ham sab aise hee bade hote hain.

प्रीतीश बारहठ said...

अजय जी,

अगर ऐसे ही बड़े होते हैं, तब तो मेरे पास पूरी सुविधा है कि मैं बड़ा न होऊँ। फिर भी यदि अपने बड़े होने पर नियन्त्रण न रख पाऊँ तो आशा है आप मुझे अपनी अंगुली थमाये रखेंगें।

संकट की घड़ी में आश्वस्त करने के लिये धन्यवाद।

मुनीश ( munish ) said...

vaah pritish kya javaab diya tumne !

प्रीतीश बारहठ said...

Thanks Munish Ji.