Wednesday, February 17, 2010
दोस्तोव्स्की के लेखन पर कुछ बड़े लेखकों के विचार
फ़्योदोर दोस्तोव्स्की मेरे चहेते लेखकों में हैं. उनके उपन्यास क्राइम एन्ड पनिशमैन्ट, द ईडियट और ब्रदर्स करमाज़ोव को सर्वकालीन दस महानतम उपन्यासों की सारी सूचियों में जगह मिलती रही है. उनके उपन्यासों और कहानियों के अविस्मरणीय पात्र हमारे सामने तत्कालीन रूस की वास्तविक सूरत रखते हैं. दोस्तोव्स्की को एक बार पढ़ चुका आदमी उसे जीवन भर याद न रखे, मुझे मुमकिन नहीं लगता.
देखिये अर्नेस्ट हैमिंग्वे, जेम्स जॉयस और वर्जीनिया वूल्फ़ जैसे दिग्गज लेखक क्या राय रखते हैं इस महान रूसी जादूगर के बारे में.
"दोस्तोव्स्की के यहां विश्वास किये जाने लायक चीज़ें भी हैं और ऐसी भी जिन पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिये. लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो पढ़ते समय आपको बदल देती हैं. दोस्तोव्स्की ने लेखकों की कई पीढ़ियों को इस कदर प्रभावित किया है कि अब कहानी का माध्यम इसी उस्ताद के बनाए नियमों से संचालित होता है - वे ऐसी असम्भव दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक खोहों तक जा सकते थे!"
-एक साक्षात्कार में अर्नेस्ट हैमिंग्वे
"आधुनिक गद्य के निर्माण में दोस्तोव्स्की का योगदान किसी भी और लेखक से कहीं ज़्यादा है. उसने इस गद्य के स्वर को सघन बनाया. यह उनकी विस्फोटक ताकत थी जिसने नकली हंसियों वाली कन्याओं और क्रमबद्ध रोज़मर्रेपन से भरपूर विक्टोरियाई उपन्यास की धज्जियां उड़ा दीं; ये ऐसी किताबें होती थीं जिनमें न कल्पना होती थी न हिंसा."
-आर्थर पावर को दिये गए एक साक्षात्कार में जेम्स जॉयस
"दोस्तोव्स्की के उपन्यास लगातार घूमते चक्रवात जैसे होते हैं, रेतीले अंधड़ों जैसे, फुंफकारते और आपको अपने भीतर चूस लेने को आतुर भंवरों सरीखे. वे विशुद्ध आत्मापूरित तत्वों से बने होते हैं. अपनी इच्छाओं के बरखिलाफ़ हम विवश होकर उन तक खिंचे चले जाते हैं. हमें चक्रवातों के थप्पड़ झेलने पड़ते हैं, हमारी आंखें अन्धी हो जाती हैं, हमारा दम घुटने लगता है लेकिन साथ ही हमें अपना सारा अस्तित्व एक नशीले आनन्द मैं तैरता महसूस होता है. शेक्सपीयर के अलावा सिर्फ़ और सिर्फ़ दोस्तोव्स्की ने पढ़ने का आनन्द दिया है मुझे"
-'द रशियन पॉइंट ऑफ़ व्यू' में वर्जीनिया वूल्फ़
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6 comments:
इन दिनों तार्कोवोस्की को पढ़ रहा हूँ... और वो भी दोस्तोव्स्की के फैन थे... मुझे इन रस्सियन नामों में बड़ी उलझन होती है सब सामान लगते है और याद भी नहीं रहते... खैर...
शिल्पायन से ली थी एक किताब "अनंत में फैलते बिम्ब" और वहां "लस्ट फॉर लाइफ" भी देखी
अशोक भाई,
अर्नेस्त हेमिन्ग्वे कि टिप्पणी मे
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उसने इस गद्य के स्वर को सघन बनाया. यह उनकी विस्फोटक ताकत थी जिसने नकली हंसियों वाली कन्याओं
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पड्कर ऐसा लगा कि ये वैसा ही समय का टुकडा होगा जैसा हिन्दि फ़िल्मो मे नाक से गाते-गाते मे एक दम से लता जी का आग्मन हो गया था,कुछ-कुछ य़ॆ किशोर कुमार पर भी सही है--स्वर को सघन बनाना या नक्ली नाक वाली आवाज़ को विस्फोटक ताकत से रवाना करना /
@abcd - यह कमेन्ट हैमिंग्वे का नहीं बल्कि जेम्स जॉयस का है.
आप की बात से सहमत हूं.
दोस्तोवस्की रूस की गुफा नुमा गलियों में खींच ले जाता है...उसके चरित्रों की हुलिया से उबकाई आती है, लेकिन आपके दिलों दिमाग पर वे छा जाते हैं...फिर उनकी खुशी और उनका तनाव आपका हो जाता है...वैसे दोस्तोवस्की की कृति से ज्यादा उनका लाइफ उन्मादक है....अजीबो गरीब...
दोस्तोवस्की रूस की गुफा नुमा गलियों में खींच ले जाता है...उसके चरित्रों की हुलिया से उबकाई आती है, लेकिन आपके दिलों दिमाग पर वे छा जाते हैं...फिर उनकी खुशी और उनका तनाव आपका हो जाता है...वैसे दोस्तोवस्की की कृति से ज्यादा उनका लाइफ उन्मादक है....अजीबो गरीब...
अच्छा तो लगा !
काश कुछ काव्य-मय उद्धरण को रखने
के मोह का संवरण कर आलोचनात्मक
( सकारात्मक / नकारात्मक ) पक्ष को रखा जाता ...
.
फिर भी जहाँ कुछ नहीं हो रहा है वहां इतना ही कम नहीं है ! आभार !
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