क्रिस मान्सेल (जन्म १९५३ -) महत्वपूर्ण समकालीन आस्ट्रेलियाई कवयित्री हैं. १९७० और १९८० की दहाइयों में सिडनी में सम्पादन कार्य कर चुकने के बाद अब वे ग्रामीण आस्ट्रेलिया में बस गई हैं और पूर्णकालीन रचनाकर्म करती हैं. १९७८ में उन्होंने युवा आस्ट्रेलियाई कवियों को प्रोत्साहित करने के लिए कम्पास पोएट्री एन्ड प्रोज़ नामक पत्रिका निकाली जो १९८८ तक बन्द होने तक अच्छा नाम कमा चुकी थी. २००२ से वे प्रेस्प्रेस नाम से अपना स्वतन्त्र प्रकाशन चला रही हैं. अब तक उनके दर्ज़न भर से ज़्यादा काव्य संकलन छप चुके हैं और बच्चों के लिए एक लोकप्रिय पुस्तक "लिटल वॉम्बैट" भी.
1.धूल
कभी कभी ऐसे पल आते हैं
जब आपने
मेरे ख़याल से संसार को
सुनना चाहिए
जैसे
मिसाल के लिए उस पल
जब एक उल्कापिण्ड
छत से होता हुआ आया
और मेरी डेस्क पर
काग़ज़ों और अधूरी चीज़ों
पर आ गिरा
यह कहना कि वह सुलग रहा था
कुछ शायराना लगेगा
पर वह
वाकई सुलग रहा था
और मैं वहां बैठी थी
उस पल
कलम उठाने ही वाली थी
और तब मैं ढंक गई धूल से
छत के टुकड़ों से
हकबकाई हुई
और वह था वहां
न बहुत बड़ा
न दिखने में कोई खास
सिवा इसके कि
वह वहां था जहां उसे नहीं होना चाहिए था
या शायद जहां होना चाहिए था
जैसे कि मैं कहती हूं
कोई सन्देश.
2. भला सिपाही
किसी और के घर
उसे महसूस होता है जैसे धरती
कहीं दूर जा चुकी
धूल मर चुकी
और टेढ़ामेढ़ा आसमान
पत्थरों की लय ग़लत
वह नहीं जानता इस सब को कैसे बयान करे
उसके लिए न शब्द हैं न मौक़ा
और जो भी हो
तुम कह भी क्या सकते हो
कि तुम एक अजनबी हो
और यह कह कर उस बात को जाहिर नहीं किया जा सकता
वह शहर भर में अपना हथियार लिए घूमता है
और समय समय पर उसे नज़र आती है
खास और आम जीवन की अंतरंगता की वह आकर्षक लट
वह पहने है अलग पोशाक कि उसकी समझ में कुछ नहीं आता
उतारचढ़ावों से भरी भाषा
कोई और समय होता तो वह किसी पर्यटक की सी दिलचस्पी दिखलाता
फ़िलहाल तो वह शिकारी है और शिकार भी
जल्द ही वे कहेंगे
उसे घर वापस जाने को आज़ाद कर दिया जाएगा
जहां धरती है नसों जितनी गहरी
और जब वह अपना हाथ रखेगा उस पर
वह सुन सकेगा उसे धड़कता हुआ
लेकिन अभी तो
वह घर को याद तक नहीं कर पा रहा
अलबत्ता वह भली भांति जानता है शब्दों को
पिछवाड़े का गलियारा, स्टीव का गलियारा, बरामदा
ये सब बस शब्द हैं पर तभी इमाम साहब की अज़ान आती है
उसकी इन्द्रियों के चारों तरफ़ एक पर्दा सा खींचती हुई
और कभी कभी उसे लगता है कि
वह कभी नहीं लौट सकेगा वहां जहां उसका घर है.
1 comment:
दोनो बेहतरीन कवितायें।
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