Sunday, April 24, 2011

जैसे चॉकलेट के लिए पानी - 6

(पिछली किस्त से जारी)

अध्याय २ - फ़रवरी


चाबेला वैडिंग केक

आवश्यक सामग्री -

१७५ ग्राम चीनी का बुरादा
३०० ग्राम तीन बार फेंटा हुआ केक बनाने का आटा
१७ अण्डे’
एक नीबू के कद्दूकस किए हुए छिलके

बनाने की विधि -

पांच अण्डों की ज़र्दी, चार पूरे अण्डे और चीनी के बुरादे को एक बड़ी कटोरी में रखकर फेंटें ताकि मिश्रण गाढ़ा हो जाए. उसके बाद दो अण्डे और डालकर फेंटें. इसी प्रक्रिया को तब तक जारी रखें जब तक सारे अण्डों का इस्तेमाल न हो जाए. पेद्रो और रोसौरा की शादी का केक बनाने के लिए तीता और नाचा ने आवश्यक सामग्री को दस से गुणा किया क्योंकि यह केक अठार्ह लोगों के स्थान पर एक सौ अस्सी लोगों के लिए बनाया जाना था. इसलिए उन्हें एक सौ सत्तर अण्डों की आवश्यकता थी - यानी एक ही दिन में उनको इतनी संख्या में अच्छे अण्डे चाहिए थे.

इसके लिए उन्होंने कई हफ़्तों तक सबसे अच्छी मुर्गियों द्वारा दिए गए अण्डों को सम्हाल कर रखा. अण्डों को सम्हालने की यह विधि रैन्च में लम्बे समय से इस्तेमाल की जाती रही थी ताकी सर्दियों में भी पौष्टिक भोजन मिलता रहे. अण्डों को सम्हालने का सर्वश्रेष्ठ समय होता है - अगस्त या सितम्बर. अण्डे बिल्कुल ताज़े होने चाहिए. नाचा उन्हीं अण्डों को लेती थी जो उसी दिन दिए गए होते थे.अण्डों को एक पीपे में सूखे हुए चारे के साथ रखा जाता है. थोड़ा ठण्डा होने के बाद उन्हें ढंक दिया जाता है. इसके बाद महीनों तक वे ताज़े रहेंगे. अगर आप चाहते हैं कि अण्डे साल भर से ज़्यादा समय तक ताज़े रहें तो मिट्टी के बरतन में उन्हें रखकर दस प्रतिशत चूने के घोल से ढंक दें. कसकर बन्द करने के बाद उन्हें शराब बनाने की कोठरी में रख दें. तीता और नाचा ने पहली वाली प्रक्रिया का इस्तेमाल करना उचित समझा क्योंकि उन्हें अण्डों को काफ़ी समय तक नहीं सम्हालना था. इस समय उन्होंने का पीपा अपने बीच रसोई की मेज़ के नीचे रखा हुआ था और वे केक बनाने में व्यस्त थीं.

सौ अण्डे फेंट चुकने के बाद तीता का मन थोड़ा ख़राब हो गया क्योंकि इस काम में काफ़ी मशक्कत लगती है. १७० का लक्ष्य तीता को असम्भव लगने लगा.

नाचा अण्डों को फोड़कर मिश्रण में डाल रही थी जबकि तीता उन्हें फेंट रही थी. जब जब एक अण्डा फोड़ा जाता तीता की त्वचा में कंपन सा उठता. अण्डों की सफ़ेदी उसे उन मुर्गों के अण्डकोशों जैसी दिखाई पड़ रही थी जिन्हें पिछले महीने बधिया किया गया था. ऐसे मुर्गों को खूब खिला पिला कर मोटा किया जाता है. परिवार में यह निर्णय लिया गया था कि पेद्रो और रोसौरा के विवाह पर इन मुर्गों को परोसा जाएगा ताकि हर कोई भोजन को सराहे.

जैसे ही बारत जनवरी की तारीख विवाह के लिए तय की गई. तुरन्त दो सौ मुर्गे खरीदे गए और उन्हें परोसे जाने के लिए तैयार किया जाने लगा.

मुर्गों को बधिया करने की ज़िम्मेदारी तीता और नाचा को सौंपी गई. नाचा को उसके अनुभव के कारण और तीता को उसकी बहन रोसौरा की सगाई के समय सिरदर्द का बहाना बनाने के कारण.

"मैं इसे कतई बर्दाश्त नहीं करूंगी कि कोई मेरी आज्ञा न माने" मामा एलेना ने उससे कहा था. "और न मैं तुम्हें इसकी इजाज़त दूंगी कि तुम अपनी बहन की शादी बर्बाद करो. अब से शादी की सारी तैयारियों का ज़िम्मा तुम्हारा है और याद रहे मैं तुम्हारी आंखों में न तो एक आंसू देखूं और न तुम्हारा लटका हुआ मुंह. आई समझ में?"

जब वह पहले मुर्गे को बधिया करने जा रही थी यह चेतावनी तीता के मन में थी. इस कार्य के लिए मुर्गे के अण्डकोश के बाहर एक चीरा लगाया जाता हैऔर उंगलियांअण्डकोश के भीतर डालकर उन्हें बाहर खींच लिया जाता है, बाद में घाव को सिलकर बाहर से सूअर या मुर्गे कॊ चरबी का लेप लगा देते हैं. जब तीता ने अपनी उंगलियां अण्डकोष के भीतर डालीं तो उसे मूर्छा सी आने लगी. वह पसीने से भीग सी गई और उसका पेट आकाश में पलंग की तरह लहराने लगा. मामा एलेना ने उस पर तीखी निगाह डालकर कहा:

"क्या हुआ? क्यों कांप रही हो तुम? क्या फिर कोई नया पचड़ा खड़ा करने वाली हो तुम?" तीता ने अपनी आंख उठाकर उन्हें देखा. वह चीखना चाहती थी, हां उसे परेशानी हो रही है. अगर उन्होंने किसी को बधिया करना ही था तो उन्होंन्र गलत चीज़ चुन ली थी. उन्होंने उसे बधिया करना था. कम से कम उनका यह कदम इसलिए तो उचित होता ताकि वह शादी न कर पाएऔर रोसौरा को उस आदमी से शादी करने दे जिस से वह प्यार करती थी. मामा एलेना ने उसकी आंखों को पढ़ लिया और गुस्से मं पगलाकर उन्होंने तीता को एक करारा झापड़ रसीद किया. तीता लुढ़क कर धूल में मुर्गे के पास जा गिरी, जो इस गड़बड़ में मर चुका था.

इन्हीं विवारों में खोई तीता पागलों की तरह केक फेंट रही थी जैसे वह अपनी शहादत को पूरा करना चाह रही हो - हमेशा के लिए!

(जारी)

No comments: