नवीं कक्षा में पहली बार संजीदा प्यार हुआ था, उस जमाने में म्यूजिक अल्बम्स को टेलीविज़न पर प्रमोट करने की होड़ सी लगी थी, और उनके वीडियो कई कई चैनल्स में कई कई बार दिखाते थे | उस दौर को धन्यवाद, वरना मुझे नहीं लगता कि वडाली बंधुओं की ये कव्वाली मैं कभी सुन पाता, 'तू माने या न माने दिलदारा ,असातें तैनु रब मनयां' | किशोर मन प्यार को लेकर कई तरह के सपने बुना करता था, बेशक ज्यादातर डरावने ही होते थे | भाग्य का फेर देखिये, ये सपने सच हो भी गए | मेरे सुखद और वाज़िब भविष्य को दर्शाता उस कव्वाली का वीडियो ज्यादा ध्यान आकर्षित करता था, बोल ये सोचकर सुन लेते थे कि हाँ कोई गा रहा होगा | आज ऐसे ही एक वीडियो से दूसरे वीडियो में कूदते हुए ये फिर देखने को मिला तो वीडियो इतना खास नहीं लगा, आवाज का टिकाउपन एकदम ही दिल में धक्के मार के घुसने लगा |
तो जनाब नेट पर इधर उधर की ख़ाक छानकर कुछ यों पता चला है कि वडाली बंधू अर्थात प्यारेलाल वडाली एवं पूरनचंद वडाली जी संगीत में आने से पहले निहायत अजीब ही तरफ करियर बना रहे थे | पूरनचंद जी २५ साल बाकायदा कुश्ती लड़े हैं , और प्यारेलाल जी गाँव की रासलीला (रामलीला न समझें) में किशन कन्हैया का बकौल लफत्तू पाट खेला करते थे | एक और विडियो मिला जिसमे प्यारेलाल जी, पूरनचंद जी लिल चैंप्स नाम्ना एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में बतौर मेहमान आये, तो प्यारी बच्ची अफशा ने उनसे पूछा कि कुश्ती और गायन का रिश्ता ? तो पूरनचंद जी तसल्लीबख्श जवाब देते हैं कि गाणा भी एक पैलवानी है, जैसे कुश्ती करता है वैसे गाणे के साथ भी कुश्ती करनी पड़ती है | फिर उन्होनें उदाहरण के वास्ते अपने उस्ताद बड़े गुलाम अली खान की गायकी भी सुनाई | सुनते वक़्त मैं सोच रहा था कि श्रोता और कुश्ती के दर्शकों में ज्यादा फर्क नहीं होता | दोनों सांस रोके गायक और गायकी को गुत्थमगुत्था होते हुए देखते हैं | हर एक दांव-पेंच के साथ उनकी सांस ऊपर नीचे होती रहती है | तभी जो उनका गायक ये धोबी-पछाड़ देता है गायकी को और उसके सीने पे जांघ रखकर ऊपर चढ़ बैठता है तो तालियों की गडगडाहट से हाल गूँज जाता है |
[आप यह गाना यहाँ से डाउनलोड करें : http://www.divshare.com/download/14640718-92e]
नोट : लेखक को बहुत कुछ आता नहीं है , इसलिए अगर आप वडाली बंधुओं के बाबत उसकी ज्ञानवृद्धि करना चाहें तो सुस्वागत |
4 comments:
वाकई कुश्ती और गायन के श्रोता में कोई फ़र्क नहीं होता है
वाह जी वाह !!
कव्वाली में गजब की मस्ती है।
क्या बात है कितनी गहरी समानता ढूंढ निकली आपने...ज्ञान वृध्धि के लिए आभार...
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